चांद का दीदार कर महिलाओं ने खोला व्रत
पति की लंबी आयु की कामना के लिए जिलेभर में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। करवा चौथ पर्व के उपलक्ष्य में महिलाओं ने व्रत रखकर शाम के समय कथा सुनी। इसके बाद महिलाओं ने रात के समय चांद को अर्ध्य देकर अपना व्रत खोला।
जागरण संवाददाता, कैथल :
पति की लंबी आयु की कामना के लिए जिलेभर में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। करवा चौथ पर्व के उपलक्ष्य में महिलाओं ने व्रत रखकर शाम के समय कथा सुनी। इसके बाद महिलाओं ने रात के समय चांद को अर्ध्य देकर अपना व्रत खोला। इसके साथ की कलायत व गुहला चीका से आम आदमी पार्टी की महिला प्रत्याशियों ने भी प्रचार के बीच ही चांद को अर्ध्य देकर व्रत खोला। बता दें कि सुहागिनों के जीवन में करवा चौथ पर्व की खास अहमियत है। अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सुहागिनों के जीवन में करवा चौथ पर कुछ खास मौके होते हैं, जो उनके लिए यादगार बन जाते हैं।
महिलाओं की ओर से बृहस्पतिवार को करवा चौथ पर्व को लेकर व्रत रखा गया। इस मौके पर जिला के कई स्थानों पर महिलाओं की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने कथा सुनी। सेक्टर 19 में अमर रविश, रीतू, कमला देवी सहित अन्य महिलाओं ने कथा सुनी। इसके साथ ही लायंस क्लब और इन्नरव्हील क्लब की महिला सदस्यों ने कहानी सुनकर पूजा अर्चना की।
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पंडीताइन गोमती देवी ने बताया कि एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वेदशर्मा के सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी। सात भाईयों की अकेली बहन होने के कारण वह उनकी बहुत लाडली थी। उसका विवाह एक ब्राह्मण युवक से हुआ। शादी के बाद वीरावती जब अपने माता-पिता के पास थी तब उसने अपनी भाभियों के साथ पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। व्रत के दौरान वीरावती को भूख सहन नहीं हुई और वह मूर्छित हो गई। उसका एक भाई वट के वृक्ष पर हाथ में छलनी और दीपक लेकर चढ़ गया। जब वीरावती मूर्छित अवस्था से जागी तो उसके बाकी सभी भाईयों ने उससे कहा कि चंद्रोदय हो गया है और उसे छत पर चंद्रमा के दर्शन कराने ले आए। वीरावती ने वृक्ष पर छलनी के पीछे दीपक को देख विश्वास कर लिया कि चंद्रमा वृक्ष के पीछे निकल आया है। अपनी भूख से व्याकुल वीरावती ने शीघ्र ही दीपक को चंद्रमा समझ अर्घ अर्पण कर अपने व्रत को तोड़ा। इसके बाद ससुराल से उसके पति की मृत्यु का संदेश मिला। वह विलाप करने लगी। उसका विलाप सुनकर देवी इंद्र देवता की पत्नी इंद्राणी उसे सांत्वना देने के लिए पहुंची। देवी इंद्राणी ने उसके मृत्यु का कारण बताया। उसने वीरावती को करवा चौथ के व्रत के साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी, जिसके बाद मासिक उपवास पूरे करने के बाद उसका पति जीवित हुआ।
हर्षोल्लास से मनाया करवाचौथ
बॉक्स : राजौंद : नगर में करवाचौथ का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा। महिलाओं ने करवे की कहानी सुनी। करवाचौथ को लेकर पिछले कई दिनों से महिलाएं तैयारियों में लगी हुई थी। करवाचौथ का व्रत पति पत्नी के प्रेम को बढ़ाता है व उनके रिश्तों में अटूट बंधन की डोर को मजबूत बनाता है। यह पर्व आधुनिक समाज में आत्मिक भावनाओं को प्रकट करने का शुभ अवसर होता है। आज के दिन धर्मपरायण, निष्ठावान महिलाएं नीर जल, निराहार इस व्रत को पूर्ण करके सौभाग्य की प्राप्ति करती हैं। वास्तव में यह व्रत दाम्पत्य जीवन के मनमुटाव तथा सूक्ष्म, विघ्न बाधाओं को दूर करने में समर्थ है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके सजधज के बहुत सुंदर रूप में दिखती हैं। नए मनभावन वस्त्र पहनकर हाथों में मेहंदी रचाकर अपने विवाह के प्यारे पलों को याद करती हैं।