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हनुमान स्वरूप धारण कर युवाओं ने निकाली झाकियां

दशहरा पर्व पर भगवान हनुमान के स्वरुपों की पूजा करने वाली समितियों की ओर से पर्व के दिन घर-घर जाकर फेरी निकली गई। इस बार महामारी के कारण इन कार्यक्रमों का आयोजन भी दो गज की दूरी का पालन करते हुए किया। इन समितियों के सदस्य शहर में दंडवत कर परिक्रमा करते हैं। लोग भगवान हनुमान के स्वरुपों को अपने घरों में निमंत्रण देकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और प्रसाद वितरित करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 06:28 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 06:28 AM (IST)
हनुमान स्वरूप धारण कर युवाओं ने निकाली झाकियां

जागरण संवाददाता, कैथल :

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दशहरा पर्व पर भगवान हनुमान के स्वरुपों की पूजा करने वाली समितियों की ओर से पर्व के दिन घर-घर जाकर फेरी निकली गई। इस बार महामारी के कारण इन कार्यक्रमों का आयोजन भी दो गज की दूरी का पालन करते हुए किया। इन समितियों के सदस्य शहर में दंडवत कर परिक्रमा करते हैं। लोग भगवान हनुमान के स्वरुपों को अपने घरों में निमंत्रण देकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और प्रसाद वितरित करते हैं।

इस बार महामारी के कारण इन कार्यक्रमों का आयोजन छोटा किया गया। इन समितियों के सदस्य शहर में दंडवत करते हुए शहर की परिक्रमा करते हैं। रविवार को भी शहर में विभिन्न समितियों के युवाओं ने हनुमान स्वरूप धारण किए।

बता दें कि इस यात्रा में समितियों के वह युवा हिस्सा लेते हैं, जो दशहरे से पहले 41 या 21 दिन तक ब्रह्मचर्य धारण कर घर और व्यवसाय त्यागकर व्रत रखते हैं। वह व्रत रखकर एक समय खाना खाते हैं जमीन पर सोते हैं। श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं। शहर में प्रताप गेट, सीवन गेट, डोगरा गेट, महादेव कालोन स्थित समितियों की ओर से व्रतधारी युवाओं ने हनुमान के मुकुट वाला स्वरुप धारण कर शहर में परिक्रमा की।

महादेव कालोनी स्थित मां अंजनी लाल हनुमान सेवा समिति की ओर से स्वरुप धारण करने वाले युवाओं में ललित, लक्की, राहुल, दीक्षित, सचिन और नीरा शामिल रहे। इस समिति में छह युवाओं ने हनुमान जी का स्वरूप धारण किया। इस मौके पर लविश खुरानियां, तुषार खुरानियां, कमल, विवेक खुराना, करण, अजमेर, गोमसी गांधी, शिवम मक्कड़, रतन खुराना, सहित अन्य मौजूद थे।

जिले में कई वर्षाें से जारी है यह परंपरा :

कैथल में दशहरा पर्व पर हनुमान स्वरूप धारण कर दंडवत प्रकिया करने की अनूठी परम्परा रही है। यह परंपरा पाकिस्तान से आजादी के बाद विस्थापित होकर आए परिवार निभा रहे है। वह कई प्रकार के कड़े नियमों का पालन करते हैं। इस दौरान लोग श्रद्धा के साथ हनुमान जी के स्वरूप को अपने घर एवं प्रतिष्ठानों में आमंत्रित कर उनकी पूजा करते हैं।

यह है परंपरा :

समिति के सेवक कमल मक्कड़ ने बताया कि परम्परा के अनुसार हनुमान जी से मन्नतें मांगते हुए युवा 40 दिन का व्रत दशहरा से 40 दिन पहले शुरू करते हैं। इस दौरान पूजा के समय व्रत रखने वाले बच्चे सिर पर हनुमान जी का विशेष स्वरूप रखते हुए उनका रूप ग्रहण करते हैं। वह 40 दिनों तक दिन में एक समय खाना खाते हैं। नंगे पांव रहते हैं और हनुमान जी के दरबार में ही सोते हैं। इस बीच लोग घरों एवं प्रतिष्ठानों में हनुमान जी के स्वरूप को आमंत्रित कर उनकी पूजा करते हैं। दशहरा के दिन शहर की परिक्रमा पूरी करने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है।


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