कर्मचारियों की आवाज बन न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे शिक्षक विजेंद्र
जेबीटी अध्यापक के पद पर तैनात विजेंद्र धारीवाल पिछले तीन वर्षाें से कर्मचारी वर्ग की आवाज बनकर न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : जेबीटी अध्यापक के पद पर तैनात विजेंद्र धारीवाल पिछले तीन वर्षाें से कर्मचारी वर्ग की आवाज बनकर न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अब तक विजेंद्र कर्मचारियों की आवाज बनकर पेंशन को लेकर महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं। बता दें कि वर्ष 2017 में सरकार की ओर से पुरानी पेंशन को रद कर नई पेंशन नीति लागू की।
इसके बाद उन्होंने पेंशन बहाली संघर्ष समिति का गठन किया। इसमें वह संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल हुए। इस दौरान प्रदेश के महज 300 लोग ही इस समिति के शामिल हुए। नई नीति के कारण न किसी यूनियन और न किसी विभाग के कर्मचारियों को इसकी जानकारी थी। इसके बाद विजेंद्र और इसके साथियों ने जन-जागरुकता अभियान चलाकर कर्मचारियों तक अपने हकों को लेने के लिए आवाज को उठाया।
पहले नौकरी की लड़ाई, अब कर्मचारी के हकों की :
बिजेंद्र धारीवाल ने बताया कि वर्ष 2017 में उन्हें कोर्ट केस के माध्यम से जेबीटी अध्यापक के रूपनौकरी मिली। पहले तो तीन साल तक केस लड़ने के बाद नौकरी हासिल की। तो पता चला कि सरकार ने पुरानी पेंशन नीति को रद कर दिया है। नई पेंशन नीति से कर्मचारियों को नुकसान होगा। इसके बाद उसने और कुछ साथियों ने मिलकर संगठन बनाने का निर्णय लिया। इसमें शुरूआती चरण में महज 30 से लोग ही शामिल थे। जबकि पूरे प्रदेश में करीब 300 की संख्या था। अब इस संगठन से करीब एक लाख कर्मचारी जुड़ पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
संघर्ष सफल हुआ तो कुछ त्रुटियां हुई दूर :
विजेंद्र ने बताया कि जब एक कर्मचारी सरकारी नौकरी पर रहकर 35 से 40 वर्ष तक लगातार जनता के सेवा के कार्य करता है। सरकार ने पुरानी पेंशन नीति को रद्द कर वर्ष 2006 के बाद सरकारी नौकरी पर लगे कर्मचारियों को नई पेंशन नीति में शामिल किया है। जो एक बाजार आधारित व्यवस्था है। ऐसे में वह लंबी नौकरी करने के बाद भी अपने बुढ़ापे में परेशानियों को झेलेगा। धारीवाल ने बताया कि संगठन की ओर से आवाज उठाने के बाद अब सरकार ने 60 प्रतिशत तक मिलने वाले भत्ते को टैक्स फ्री किया है। इसके साथ ही सरकार की भागेदारी 10 से 14 प्रतिशत हुई है। मृत्यु पर ग्रेजुएटी भी देने का फैसला लिया। यह सभी नियम नई पेंशन में खत्म किए गए थे। अब इन्हें दोबारा लागू किया है। जिससे कर्मचारियों को कुछ राहत मिली है। अभी उनकी ओर से पुरानी पेंशन नीति लागू करवाने को लेकर संघर्ष जारी है।