खेल खेल में खोज निकाला ¨हदी व्याकरण पढ़ाने का तरीका
सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं तक ¨हदी व्याकरण सिखाने के लिए कोई किताब नहीं है। 1996 में शिक्षा विभाग में बतौर ¨हदी अध्यापक नियुक्ति मिलने के बाद से ही डॉ. विजय चावला को इसकी कमी खल रही थी। व्याकरण को लेकर विद्यार्थियों के तरह तरह के प्रश्न होते थे। प्राइवेट पब्लिशर की सहायता प्राप्त किताबें भी विद्यार्थियों की बाधाओं दूर नहीं कर पा रही थी। विद्यार्थियों की इसी मुश्किल का हल डॉ. विजय चावला ने कुछ वर्ष पहले खोज निकाला।
जागरण संवाददाता, कैथल : सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं तक ¨हदी व्याकरण सिखाने के लिए कोई किताब नहीं है। 1996 में शिक्षा विभाग में बतौर ¨हदी अध्यापक नियुक्ति मिलने के बाद से ही डॉ. विजय चावला को इसकी कमी खल रही थी। व्याकरण को लेकर विद्यार्थियों के तरह तरह के प्रश्न होते थे। प्राइवेट पब्लिशर की सहायता प्राप्त किताबें भी विद्यार्थियों की बाधाओं दूर नहीं कर पा रही थी। विद्यार्थियों की इसी मुश्किल का हल डॉ. विजय चावला ने कुछ वर्ष पहले खोज निकाला।
उन्होंने खेल खेल में व्याकरण पढ़ाने का तरीका खोज निकाला। उनकी इस खोज को विद्यार्थियों ने हाथों हाथ लिया और देखते देखते ही व्याकरण पढ़ने वाले विद्यार्थियों की फौज तैयार हो गई। उन्होंने बताया कि असर ये हुआ कि उनके सौ प्रतिशत विद्यार्थी पास तो होने लगे ही अच्छे अंक भी लाने लगे। इनमें 90 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक विद्यार्थी हर साल हासिल करते रहे। इससे उत्साहित होकर उन्होंने अब ई संस्करण लांच करने का फैसला किया है।
बॉक्स
विद्यार्थी भी ई-संस्करण को
तैयार करने में कर रहे मदद
डॉ. विजय चावला बताते हैं 10वीं व 12वीं के नौ ¨हदी व्याकरण के ई संस्करण को बनाने में उनकी मदद कर रहे हैं। कुल 20 पाठ ई-संस्करण किताब में होंगे, जिसके 17 पाठ लिखे जा चुके हैं। बहुत जल्द ही वह इस ई संस्करण को लांच करेंगे जो सभी विद्यार्थी और शिक्षकों की पहुंच में होगा। ¨हदी व्याकरण से जुड़ी हर समस्या का सौ प्रतिशत समाधान इन 20 पाठ में होगा।
बॉक्स
अब ऑनलाइन होंगे डॉ.
विजय के ¨हदी के पाठ
लर्निंग लैंग्वेज फाउंडेशन जो प्राथमिक भाषा शिक्षण विकास के लिए सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है, ने उनके ¨हदी के व्याकरण पढ़ाने के तरीके को सराहा है और आनलाइन करने की बात कही है। बहुत जल्द ही वह इसके लिए पाठ रिकार्ड करेंगे। अब तक दर्जनों अवार्ड उनको इस कार्य के लिए मिल चुके हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद भी उनके आईसीटी फार्मूले को सराह चुकी है और चार बार प्रशंसा पत्र भी दे चुकी है।