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तीन साल से एक ही ठेकेदार, अब नए की तलाश में प्रशासन

शहर से डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए लगातार तीन सालों से एक ही ठेकेदार को ठेका दिया जा रहा है। अब 30 अप्रैल को कचरा उठाने का वाला ठेका खत्म हो रहा है। इस बार जिला प्रशासन व नप अधिकारी नए ठेकेदार की तलाश कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 07:14 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 07:14 AM (IST)
तीन साल से एक ही ठेकेदार, अब नए की तलाश में प्रशासन
तीन साल से एक ही ठेकेदार, अब नए की तलाश में प्रशासन

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर से डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए लगातार तीन सालों से एक ही ठेकेदार को ठेका दिया जा रहा है। अब 30 अप्रैल को कचरा उठाने का वाला ठेका खत्म हो रहा है। इस बार जिला प्रशासन व नप अधिकारी नए ठेकेदार की तलाश कर रहे हैं। मौजूदा ठेकेदार की कई शिकायतें डीसी के पास पहुंच चुकी हैं। पार्षद भी इस ठेकेदार का विरोध कर चुके हैं। बृहस्पतिवार को पार्षद डीसी से मिले थे तो उन्होंने साफ सफाई की समस्या रखी थी। ठेकेदार का काम शहर में बनाए गए करीब 18 कचरा प्वाइंट से कचरा उठा कर खुराना रोड स्थित कचरा डंपिग प्लांट में ले जाने का है। इसके अलावा ठेकेदार के कर्मचारी सभी वार्डों में डोर टू डोर कचरा उठाते हैं। इसके लिए 15 टीपर नगर परिषद के किराए पर लिए हुए हैं, जिनका किराया ठेकेदार नप को देता है। इस बार प्रशासन ऐसे ठेकेदार की तलाश में है जिसके पास अपने साधन होंगे और ठीक से सफाई का काम करने में सक्षम होगा। बॉक्स

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दो करोड़ रुपये होते हैं साल में खर्च

शहर से कचरा उठाने पर नगर परिषद के करीब दो करोड़ रुपये साल में खर्च होते हैं। ठेका फिलहाल एमएस इंटरप्राजिज के पास है। ठेकेदार ने करीब 85 कर्मचारी भी काम पर लगाए हुए हैं। ठेकेदार पर ठीक से सफाई न करने को लेकर कई बार जुर्माने लगाए जा चुके हैं। यहां तक की मुख्य सफाई निरीक्षक मोहन भारद्वाज भी कई बार जुर्माना कर चुके हैं और डीसी को भी कई बार लिखित में ठेकेदार की शिकायत दे चुके हैं। ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा दोबारा से कचरा तोलने का मामला भी नप अधिकारियों ने पकड़ा था, जिस पर उसे 50 हजार का जुर्माना किया गया था। बॉक्स

शहर से निकलता है रोजाना 60 से 70 टन कचरा

शहर से रोजाना 60 से 70 टन कचरा निकलता है। अगर एक दिन भी ठीक से कचरे का उठान न हो तो शहर में गंदगी के ढेर लग जाते हैं। 30 अप्रैल को ठेका खत्म हो रहा है। अब आचार संहिता भी लगी हुई है तो नया टेंडर लगाने में भी नप अधिकारियों को परेशानी हो सकती है। अगर ठेका खत्म होने के बाद कोई वैकल्पिक समाधान नहीं किया गया तो शहर में गंदगी फैल जाएगी। हालांकि नप के पास करीब 330 कच्चे व पक्के सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन पूरे शहर को संभालने के लिए कर्मचारी कम हैं। बॉक्स

डीसी डॉ. प्रियंका सोनी ने बताया कि शहर से कचरा उठाने वाले ठेकेदार की कई बार शिकायतें आ चुकी हैं। इस बार नप अधिकारियों से बातचीत कर दूसरे ठेकेदार को ठेका दिया जाएगा। जिस ठेकेदार के पास अपने वाहन होंगे और ठीक से काम कर सकेगा उसे प्राथमिकता दी जाएगी।


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