राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता को बढ़ावा देना- प्रो. अरोड़ा
डा.बीआर आंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर दो दिनों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र से प्रशिक्षण लेकर आइ मास्टर ट्रेनर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सुनीता अरोड़ा राजकीय महिला महाविद्यालय चीका के प्राचार्य राजेंद्र अरोड़ा प्रोफेसर सुशील कुमार व प्रोफेसर अमित पाहवा ने कार्यशाला का संचालन किया गया।
जागरण संवाददाता, कैथल: डा.बीआर आंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर दो दिनों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से प्रशिक्षण लेकर आइ मास्टर ट्रेनर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सुनीता अरोड़ा, राजकीय महिला महाविद्यालय चीका के प्राचार्य राजेंद्र अरोड़ा, प्रोफेसर सुशील कुमार व प्रोफेसर अमित पाहवा ने कार्यशाला का संचालन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कालेज प्राचार्या प्रो. सुनीता अरोड़ा ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मुख्य विशेषताओं को उजागर करना है। यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों के लिए बहुत लाभप्रद है। राष्ट्र विकास में भारत को विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा करने में सहायक सिद्ध होगी। यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने में अधिक सक्षम हैं। इस शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों में कौशल, गुणवत्ता और उनकी रुचियों को निखारा जा सकेगा। इस प्रकार की शिक्षा नीति के तहत भारत विश्व में अग्रणी शिक्षा व्यवस्था के साथ पदार्पण करेगा।
प्रो. राजेंद्र अरोड़ा ने इंटर्नशिप व रुब्रिक्स और मूल्यांकन की विधियों के बारे में प्राध्यापकों को जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि अब विद्यार्थियों के लिए मार्क्स नहीं ग्रेड का अधिक महत्व होगा। अब विद्यार्थी इंटर्नशिप के माध्यम से और अधिक रोजगारोन्मुखी बनेंगे। इसी कड़ी में प्रशिक्षण देते हुए प्रोफेसर सुशील कुमार ने नैक से संबंधित जानकारियां दी तथा उन्हें सुनियोजित ढंग से एकत्रित करने की व्यवस्था के बारे में प्राध्यापकों को जानकारी दी। इस अवसर पर अमित पाहवा ने शिक्षा नीति के लचीलापन के बारे में बताते हुए मल्टीपल एंट्री व एग्जिट प्रणाली के बारे में प्रतिभागियों को जागरूक किया। इस कार्यशाला में महाविद्यालय के सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।