बैठक में जमींदारों ने सरकार के फैसले का किया विरोध
जमींदारों की एक बैठक श्री सांई मंदिर में देर शाम सोमवार को संपन्न हुई। इसमें मंच संचालन मनोज कुमार आनंद एडवोकेट ने किया।
संवाद सहयोगी, सीवन: जमींदारों की एक बैठक श्री सांई मंदिर में देर शाम सोमवार को संपन्न हुई। इसमें मंच संचालन मनोज कुमार आनंद एडवोकेट ने किया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य सरकार की ओर से सीवन को डार्क जोन में डालकर 50 प्रतिशत भूमि पर धान की ख्रेती पर प्रतिबंध लगाने के बारे में था। इस कारण से जमीनों को ठेके पर लेने वालों के द्वारा ठेका कम करने की बात सामने आई है कि डार्क जोन में आने के कारण भूमि के ठेके में कमी लाई जाए।
बैठक में यह फैसला लिया गया कि किसान और ठेकेदार मिलकर इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष रखें कि जो बाढ़ क्षेत्र है उन्हें चिन्हित किया जाए। उसमें धान के अलावा कोई फसल नहीं हो सकती उनमें धान लगाने की छूट दिए। किसानों का कहना था कि सीवन का जो क्षेत्र है वह सारा बाढ़ ग्रस्त है। सीवन क्षेत्र में सरस्वती ड्रेन से और उसके साथ के क्षेत्र से पिहोवा तक का पानी आता है। इससे प्रेमपुरा, रामपुरा, मलिकपुर, फिरोजपुर, सीवन, पोलड़, हिम्मतपुरा, सौथा, हरनौला, सैर, पहाड़पुर, जनेदपुर, उम्मेदपुर, खेड़ी गुलाम अली, नागल, गोहरा गांव में बाढ़ का पानी आता है।
इसके बारे में सरकार के पास भी जानकारी है क्योंकि सरकार ने ही सीवन के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में दो किलो मीटर के साइफन भी दबाए हैं जो पानी सीवन के दाबन से सरस्वती नहर में पानी डाला गया है। बाढ़ के पानी की निकासी को लेकर किसानों में आपस में झगड़े तक होते हैं। धान के अतिरिक्त अन्य कोई भी फसल यहां तक की पशुओं के लिए चारा तक भी यदि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में लगाया जाता है तो वह भी नष्ट हो जाता है।
विचार रखने वालों में रजत मेहता, विरेंद्र मेहता एडवोकेट, सतीश मुंजाल, विरेंद्र मेहता सौथा, शाम आहूजा, सतीश नागपाल, सीमा मदान, कृष्ण आनंद, दर्शन मुंजाल ने भी अपने विचार रखे। इसके पश्चात मंगलवार सुबह सभी किसानों ने उप तहसील कार्यालय सीवन में पहुंच कर नायब तहसीलदार दिलावर सिंह को मुख्यमंत्री के नाम का एक ज्ञापन सौंपा।
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