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छात्राओं को नहीं मिल रही स्पेशल बस की सुविधा

कैथल गांव से शहर पढ़ने आने-जाने वाली छात्राओं के लिए स्पेशल बस सुविधा नहीं मिल रही है। इससे शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाली छात्राएं परेशान हैं। छात्राओं का कहना है कि ग्रामीणों रूटों पर छात्राओं को स्पेशल बस सुविधा मुहैया नहीं करवाई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 06:28 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 06:28 AM (IST)
छात्राओं को नहीं मिल रही स्पेशल बस की सुविधा

जागरण संवाददाता, कैथल : गांव से शहर पढ़ने आने-जाने वाली छात्राओं के लिए स्पेशल बस सुविधा नहीं मिल रही है। इससे शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाली छात्राएं परेशान हैं। छात्राओं का कहना है कि ग्रामीणों रूटों पर छात्राओं को स्पेशल बस सुविधा मुहैया नहीं करवाई जा रही है। भीड़ में बसों की गेट पर खड़े होकर सफर तय करना पड़ रहा है। छात्रा सुनीता, रमनदीप, संतोष, मीना व सुमन ने बताया कि एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है, दूसरी तरफ स्कूल कालेज में पहुंचने के लिए छात्राओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। डिपो में छात्राओं के लिए चार पिक बसें है। उनसे भी एक-एक चक्कर लगवा कर वर्कशॉप में खड़ा कर दिया जाता है। विभाग से मांग करते हैं कि ग्रामीण रूटों पर स्पेशल छात्राओं के लिए बस चलाई जाए ताकि समय से अपने शैक्षणिक संस्थानों पर छात्राएं पहुंच सकें। वहीं पिक बसों के चक्कर बढ़ाए जाएं ताकि छात्राओं को आने-जाने में परेशानी न हो।

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कॉलेज पहुंचने में दो घंटे की देरी : सुष्मिता

आंबेडकर कालेज की छात्रा सुष्मिता ने बताया कि कॉलेज में नौ बजे लेक्चर शुरू हो जाते हैं लेकिन बसें नहीं मिलने से गांव में खड़े रहते हैं। बसों की स्पेशल कोई सुविधा नहीं है। जिस कारण साढ़े ग्यारह बजे कॉलेज पहुंचते हैं। जिससे आधे लेक्चर निकल जाते हैं। बसों की सुविधा होने चाहिए।

प्राइवेट साधनों के इंतजार में : शिल्पा

आरकेएसडी कालेज की छात्रा शिल्पा ने बताया कि गांव में दो घंटे प्राइवेट साधनों का इंतजार करते रहते हैं। उसके बाद कस्बों के स्टॉपेज पर पहुंचते हैं, तो वहां बसों में भीड़ रहती है। भीड़ के चक्कर में बसों में चढ़ा नहीं जाता है, इससे छात्राओं को बहुत परेशानी हो रही है। विभाग को जल्द समस्या दूर करनी चाहिए ताकि समय पर कालेज पहुंच सके।

वर्जन :

जीएम अजय गर्ग ने बताया कि पिक बसों को रूटों पर चलाया जा रहा है। डिपो में बसों की कमी है, उसकी डिमांड उच्चाधिकारियों को भेजी गई है।


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