राजा विक्रमादित्य के सांग का किया मंचन
संवाद सहयोगी गुहला चीका किसी भी देश के राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक उस देश की संकिसी भी देश के राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक उस देश की संस्कृति होती है। जो देश सांस्कृतिक रूप से जितना अधिक समृद्ध होगा उसका संस्कृति उतना ही गौरवशाली होगा।
संवाद सहयोगी, गुहला चीका :
किसी भी देश के राष्ट्रीय चरित्र का प्रतीक उस देश की संस्कृति होती है। जो देश सांस्कृतिक रूप से जितना अधिक समृद्ध होगा, उसका संस्कृति उतना ही गौरवशाली होगा। ये शब्द सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के प्रभारी डॉ. जसबीर सिंह ने रत्नावली युवा सांग महोत्सव के समापन पर कहे। उन्होंने कहा कि भारत देश अत्यंत विशाल है। इतनी ही विशाल इसकी सांस्कृतिक विरासत है। भारत के विभिन्न प्रांतों में अपनी-अपनी संस्कृति, खान-पान, रीति रिवाज, त्योहार और वेशभूषा हैं। भारत देश की यही खूबसूरती है जो इसे विश्व के अन्य देशों से अलग करती है। कार्यक्रम में नंदीशाला के प्रधान चौधरी रतिराम ने अतिथि के रूप में, राजेश सीड़ा प्रधान पटवार और कानूनगो एसोसिएशन गुहला ने विशिष्ट के रूप में भाग लिया।
चौथे दिन में आरकेएसडी कॉलेज कैथल के विद्यार्थियों ने ने राजा विक्रमादित्य के सांग का मंचन किया। इस अवसर पर डीएवी कॉलेज चीका के स्टाफ सदस्य व विद्यार्थी मौजूद थे।