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बुलेट के पटाखे पड़ रहे महंगे

कुछ दिनों से पुलिस और बुलेट चालकों के बीच छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। पुलिस वालों को जहां भी कोई बुलेट चालक मिल जाता है तो उसी समय उसके कागजात चेक करने में लग जाते हैं। बिना चालान किए तो शायद ही किसी बुलेट चालक को जाने दे रहे हों।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 09:05 AM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 09:05 AM (IST)
बुलेट के पटाखे पड़ रहे महंगे

कुछ दिनों से पुलिस और बुलेट चालकों के बीच छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। पुलिस वालों को जहां भी कोई बुलेट चालक मिल जाता है तो उसी समय उसके कागजात चेक करने में लग जाते हैं। बिना चालान किए तो शायद ही किसी बुलेट चालक को जाने दे रहे हों। कई बार तो ऐसा हो चुका है कि चालक का 50 हजार रुपये से भी ज्यादा का चालान काट दिया गया हो। ऐसे में शहर से बुलेट काफी कम हो गई हैं। लोग बुलेट को अपने घरों में ही खड़ा रखने को मजबूर हो गए हैं। पुलिस हजारों रुपयों के चालान कर रही है, जिससे कई बार वाहन चालक और पुलिस कर्मचारी आमने-सामने भी हो चुके हैं। एक बाइक चालक ने तो चालान कटने के गुस्से में बाइक को ही आग के हवाले कर दिया था। अब चालकों को बुलेट के पटाखे महंगे पड़ रहे हैं।

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नेताजी ने चली नई चाल

गांव में चौधर को लेकर एक नेताजी हर समय सुर्खियों में रहते हैं। अब नेताजी ने एक नई चाल चली है। इस चाल में कितने कामयाब होते हैं ये तो समय ही बताएगा, लेकिन जिस पर चाल चली गई है उन्होंने भी उलटा दाव खेल दिया है। साथियों का साथ मिलते ही उनका भी हौसला बढ़ गया है। अब ये मामला सीनियर अफसरों तक जा पहुंचा है। दोनों तरफ से शिकायत पहुंचने के बाद मामले में जांच शुरू हो गई है, अब देखना है कि इसमें किस पर गाज गिरती है और चौधर की इस जंग में कौन बाजी मारता है। इस मामले को लेकर शिक्षण संस्थान में विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है, लेकिन संस्थान में राजनीतिक करने वाले लोगों को इससे क्या लेना-देना, उन्हें तो अपनी राजनीतिक से मतलब है। कुछ भी हो चौधर को लेकर चल रहा ये विवाद इन दिनों पूरे क्षेत्र में सुर्खियों में बना हुआ है।

रोडवेज विभाग के कर्मचारी को नहीं है जानकारी

कैथल डिपो में रोडवेज विभाग के बड़े अफसर के सेवानिवृत्ति होने के बाद कामकाज प्रभावित सा हो गया है। पहले तो बस को चलाने के लिए कर्मचारियों की न चली और अब ट्रैफिक ब्रांच के कर्मचारी को बसों के रूटों की जानकारी भी कम है। ऐसे में विभाग बसों का कैसे संचालन कर सकेंगे। इससे यात्रियों को भी परेशानी आ रही है। अब विभाग में हर किसी का अपना राग और अपनी ही डफली है। हालांकि करनाल के एक बड़े अफसर को इस जिले की कमान फिलहाल सौंपी हुई है, लेकिन अभी उन्हें यहां के विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के कामकाज को समझने में समय लग रहा है। जब तक विभाग को स्थायी मुखिया नहीं मिलता है, तब तक रोडवेज विभाग में सेवाएं पटरी नहीं नहीं आ पाएंगी। बड़े पद पर अफसर की नियुक्ति न होने से कर्मचारी भी मनमर्जी से काम कर रहे हैं।

सिफारिश लगाने वालों की नहीं बन रही बात

इस समय हरियाणा बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षाओं की परीक्षाएं चल रही है। परीक्षा को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से काफी सख्ती की गई है। इस सख्ती को लेकर अभी तक जिले में काफी असर देखने को मिला है। परीक्षा में नकल के मामले तो पकड़े गए हैं, लेकिन अभी तक किसी भी विद्यार्थी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हो पाया है। परीक्षा के दौरान कई लोग सिफारिश लगा पेपर में नकल करवाना चाहते हैं, वहीं, सरकार की ओर से अध्यापकों को दी गई कार्रवाई की धमकी के कारण वे सिफारिश करने वाले की एक भी नहीं सुन रहे हैं, जिसके चलते अब फरमाइशें लगाने वालों की कोई बात बनती दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में अभी करीब 15 दिनों तक परीक्षाएं और आयोजित होनी है। क्या आने वाले समय में इतनी सख्ती के बावजूद अपनी सिफारिश लगवा सकेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

प्रस्तुति : पंकज आत्रेय, कैथल।


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