चालान काटने के विरोध में सीवन गेट पर दुकानदारों ने किया प्रदर्शन
अंबाला रोड और जींद रोड बाइपास के बाद अब पुलिस द्वारा चालान काटने के विरोध में रविवार को सीवन गेट पर दुकानदारों ने प्रदर्शन किया।
जागरण संवाददाता, कैथल : अंबाला रोड और जींद रोड बाइपास के बाद अब पुलिस द्वारा चालान काटने के विरोध में रविवार को सीवन गेट पर दुकानदारों ने प्रदर्शन किया।
दुकानदारों ने आरोप लगाया कि ट्रैफिक पुलिस बीच बाजार में ही दोपहिया वाहन चालकों का चालान काटती है। उनकी दुकानों पर सामान लेने के लिए आने वाले लोगो के भी चालान किए जाते हैं। इस कारण वह दोबारा दुकानों पर नहीं आते हैं। इस कारण उनके काम-धंधे चौपट हो चुके हैं।
प्रदर्शन की अगुआई कर रहे समाजसेवी रमेश जांगड़ा ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ विरोध जताते हुए कहा कि ट्रैफिक पुलिस पिछले लंबे समय से शहर के बीचों-बीच स्थित बाजार, कालोनियों और गलियों में भी चालान करती हैं।
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चालान काटने के लिए
पीछा करते हैं पुलिसकर्मी :
प्रदर्शन कर रहे दुकानदार हरीश सेठी, सुनील गुलाटी, सतपाल, कपिल, रामनिवास, ललित, बाबू राम और अश्वनी शर्मा ने बताया कि सीवन गेट पर आंबेडकर चौक पर ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी दो पहिया वाहन चालकों के चालान करने के लिए उनका पीछा तक करते हैं। कई बार तो वाहन चालक चोटिल भी हो चुके हैं। दुकानदारों ने आरोप लगाया कि यदि कोई ग्राहक 100 रुपये के सामान लेने भी पहुंचता है तो उसके हाथ में बेवजह नियमों का हवाला देकर 500 रुपये का चालान थमा दिया जाता है। कम से कम पुलिस को आस-पास स्थित बाजार में सामान लेने पहुंचे चालकों के तो चालान काटने बंद करने चाहिए।
इसके साथ ही पुलिसकर्मी दुकानदार की दुकान के बाहर ही उसका चालान कर देते हैं। दुकानदारी करें या चालान काटने वाली पुलिस का पहरा दें। यदि जल्द ही ट्रैफिक पुलिस ने अपना यह रवैया नही बदला तो शहरभर के दुकानदार सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।
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शहर में लगातार हो रहा विरोध :
वाहन चालकों और दुकानदारों के बिना मास्क के चालान काटने का शहर में लगातार विरोध हो रहा है। इससे पहले विश्वकर्मा चौक पर ऑटो मार्केट के दुकानदारों ने दुकानें बंद कर धरना दिया था। उसके बाद जींद रोड पुलिस नाका पर भी मैकेनिक मार्केट को बंद कर पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था। दुकानदारों का कहना है कि पुलिस कर्मी उनकी दुकानें के पास चौराहे पर बैरिकेड लगाकर चालान काटते हैं, जिन्हें देखकर वाहन चालक दुकानों तक पहुंचते ही नहीं। अब तो पूरा-पूरा दिन भी कोई ग्राहक नहीं आता है।