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किसानों को बताई पराली जलाने के परिणामों की भयावहता

जागरण संवाददाता कैथल दैनिक जागरण की मुहिम पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे के तह

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 12:06 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 12:06 AM (IST)
किसानों को बताई पराली जलाने के परिणामों की भयावहता
किसानों को बताई पराली जलाने के परिणामों की भयावहता

जागरण संवाददाता, कैथल : दैनिक जागरण की मुहिम पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे के तहत किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य रूप से सहायक कृषि अभियंता पुरुषोतम लाल व मुख्य विज्ञानी कैथल डा.रमेश चंद वर्मा रहे। मंच संचालन एडीओ सज्जन सिंह ने किया। सज्जन सिंह ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से एक नहीं दो-दो नुकसान उठाने पड़ रहे हैं। अवशेष जलाने से धरती की उर्वरा शक्ति कम होती है और दूसरी ओर हम अवशेषों को बेचकर पैसा वसूल कर सकते हैं। फसल अवशेष का उपयोग करने के लिए सरकार सब्सिडी पर यंत्र उपलब्ध करवा रही है। हमें ग्रुप में इन यंत्रों को खरीद कर अवशेष का सदुपयोग करना चाहिए। कस्टम हायरिग सेंटर फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जगह- जगह खुले हैं। उन्होंने किसानों को अवशेष नहीं जलाने व दूसरों को भी नहीं जलाने देने की शपथ दिलाई। मुख्य विज्ञानी डा. रमेश चंद्र वर्मा ने बताया कि फसल अवशेष जलाने को लेकर जागरूकता के मामले में दैनिक जागरण विभाग के साथ मिलकर अच्छा काम कर रहा है। फसल अवशेष जलाने से जमीन खराब होना शुरू हो गई है। इससे भविष्य पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिए हम सभी को जागरूकता होनी जरूरी है। गेहूं की बिजाई किसानों को जीरो ड्रिल मशीन से करनी चाहिए। इससे गिरने का कम खतरा रहता है। किसानों को डरने की आवश्यकता नहीं है। अब किसान 25 दिसंबर तक बिजाई कर सकता है। बीज का उपचार करना चाहिए। गेहूं की ऐसी किस्में भी इजाद की गई हैं, जो थोड़ा विलंब से भी बीजाई की सकती हैं। मिट्टी की सेहत का रखें ध्यान

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बीएओ जगबीर लांबा व एडीओ नरेंद्र कुमार, डा ईश्वर सिंह ने कहा कि आज हर परिवार एक महीने में पांच से छह हजार रुपये बीमारियों पर खर्च कर रहा है। इसका कारण है हमारी मिट्टी का अस्वस्थ होना। जब तक हमारी मिट्टी स्वस्थ नहीं होगी हम स्वस्थ जीवन नहीं जी पाएंगे। मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए हमें सबसे पहला काम अवशेष में आग न लगाकर मिट्टी में मिलाना है। इससे उत्पादन बढ़ेगा और हमारे स्वस्थ जीवन की नींव भी रखी जाएगी।

फोटो नंबर- 10

कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेकर फसल अवशेष प्रबंधन करें

किसान विरेंद्र यादव ने बताया कि वे पिछले पांच सालों से फसल अवशेष नहीं जला रहे हैं। अवशेष को जलाने की जगह मशीनों द्वारा फानों का प्रबंधन कर रहे है। सरकार की तरफ से कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जा रहे हैं। उनका प्रयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन कर सकते हैं। फोटो नंबर- 11

धान के अवशेषों को करे एकत्रित

किसान जगतार सिंह ने बताया कि दैनिक जागरण धान के अवशेष न जलाने को लेकर किसानों को जागरूक कर रहा है। ययह एक अच्छा सरानीय कार्य है। जिसके चलते किसान भी जागरूक हुए है। मैंने चार एकड़ जमीन पर धान की फसल बोई हुई है। धान की कटाई करने के बाद अवशेषों को एकत्रित किया है। उसके बाद उसे बेच दिया गया है। फोटो नंबर- 12

धान कटाई के खर्च को निकाल रहे है फसल अवशेषों से

किसान सुरेश कुमार ने बताया कि मैं धान के अवशेषों को जलाता नहीं हूं। धान कटाई के खर्च को पराली की बिक्री से निकाल रहा हूं। कुछ अवशेषों को भाईचारे में जरूरतमंद लोगों को दे देता हूं। इससे अवशेषों का प्रबंध भी हो रहा है। फोटो नंबर- 13

फसल अवशेष जलाने से खेत की उर्वरक क्षमता होती है कम

किसान जसमेर फौगाट ने बताया कि वे पिछले सात सालों से अवशेष नहीं जलाते है। फसल अवशेष जलाने से जमीन की उर्वरक क्षमता कम होती है। इससे गेहूं की पैदावार पर असर पड़ता है। अवशेषों को आग नहीं लगानी चाहिए। इससे जमीन खराब होती है।

फोटो नंबर- 14

सूक्ष्म जीव व मित्र कीट मर जाते

किसान बलविद्र सिंह ने बताया कि ने कहा कि खेतों में फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद फसलों के उत्पादन में सहयोग करने वाले लाभदायक सूक्ष्म जीव एवं किसान मित्र कीट मर जाते हैं। खेतों में जल धारण करने की क्षमता काफी घट जाती है। जिससे खेत जल्द ही सूख जाते हैं।

फोटो नंबर- 15

जागरूक होना चाहिए-

किसान भागा सिंह यादव ने बताया कि खेतों में फसल अवशेष जलने से कई तरह की जहरीली गैस भी निकलती है। जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। अगल बगल के पेड़ पौधों की पत्तियां सूख जाती हैं। मनुष्य को सांस की बीमारी हो जाती है। खेतों में फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए हम सभी को जागरूक होना होगा।

फोटो नंबर- 16

गत्ता मिल में बेचकर किसान मुनाफा कमाएं

किसान बलदेव सिंह ने बताया कि धान के अवशेषों को जलाने की बजाय उसे गत्ता मिल में बेचकर किसान भाई मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अतिरिक्त पराली की कम्पोजिटिग कर जैविक खाद भी बनाई जा सकती है। जैविक खाद से अच्छी फसल तैयार होती है।

फोटो नंबर- 17

पर्यावरण प्रदूषित होता है

किसान घनश्याम ने बताया कि जीरो टीलेज मशीन से किसान फसल अवशेषों को जलाए बिना ही सीधे गेहूं की बिजाई कर सकते हैं। इन दिनों धान की कटाई का सीजन जोरों पर है। किसान अज्ञानतावश धान कटाई के बाद अवशेष जलाने की कोशिश करते हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। अवशेष जलाने से जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे भविष्य में मौसम में बदलाव के कारण बारिश में कमी होगी धुएं के कारण कई प्रकार की बीमारियां होगी। भूमि की भौतिक संरचना बिगड़ती है।

फोटो नंबर- 18

अवशेषों में ही गेहूं की बिजाई करें

किसान जरनैल सिंह ने बताया कि फसल अवशेषों में ही गेहूं की बिजाई करें। इससे अपनी जमीन गुणवता अच्छी रहती है। यूरिया खाद का प्रयोग नहीं करना पड़ता है। फसल की पैदावार लागत के हिसाब से अच्छी निकलती है।

फोटो नंबर- 19

पराली को भूसा बेचकर कम रहा है मुनाफा

किसान सुनील फसल अवशेष न जला कर उसका उचित प्रबंधन कर खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं। किसान अगर अपने खेतों के अवशेष का भूसा बनाकर बेचते हैं तो उनकी आमदनी बढ़ती है। खेत की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी। भूसा की मांग आजकल बाजारों में काफी बढ़ गई है।

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