फसलों के मूल्य वद्धि को चुनावी कहा तो किसी ने सराहा
केंद्र सरकार द्वारा फसलों के समर्थन केंद्र सरकार द्वारा फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर किसानों ने अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। कुछ किसान इसे नाकाफी बता रहे है तो कुछ का कहना है कि इससे पहले किसी भी सरकार में इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई।
संवाद सहयोगी, पूंडरी: केंद्र सरकार द्वारा फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर किसानों ने अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। कुछ किसान इसे नाकाफी बता रहे है तो कुछ का कहना है कि इससे पहले किसी भी सरकार में इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई। इस मुद्दे पर दैनिक जागरण ने किसान संगठन के पदाधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने आगामी चुनावों को देखते हुए किसानों को खुश करने का प्रयास किया है। ये कार्य सरकार को पहले ही करना चाहिए था। धान के रेटों में जो मूल्य वृद्धि की गई है वो नाकाफी है। कोट्स
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सलाहकार अजीत ¨सह हाबड़ी ने कहा कि सरकार ने जो मूल्य वृद्धि की है, वो उसे बहुत पहले कर देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि धान में जो वृद्धि की है, वो बहुत ही कम है। जबकि धान का लागत मूल्य बहुत ज्यादा है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि धान के समर्थन मूल्य में और वृद्धि की जाए। सरकार को चाहिए वो कृषि बीमा नीति को कारगर बनाए और किले को इकाई मानकर किसानों को मुआवजा दिया जाए। कोट्स
भारतीय किसान संघ के प्रदेश प्रवक्ता रणदीप आर्य ने मूल्य वृद्धि की घोषणा को चुनावी घोषणा बताते हुए कहा कि सरकार को ये घोषणा दो वर्ष पहले करनी चाहिए थी। अभी सरकार ने केवल खरीफ की फसलों के मूल्य में वृद्धि की है, जबकि रबी की फसलों को लेकर किसानों को चार साल और इंतजार करना पड़ सकता है। सीटू के तहत सभी किसानों को लाभकारी और लागत के वास्तविक मूल्य मिलने चाहिए। कोट्स
किसान कुलदीप जांबा ने कहा कि किसानों ने फसलों के दाम बढ़ाए है, उसका किसान स्वागत करते हैं। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि किसानों को सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से कम न मिले। सरकार को चाहिए कि किसानों की फसलों की लिए मंडियों की व्यवस्था की जाए ताकि किसानों को अपनी फसलें बेचने में परेशानी का सामना न करना पड़े। कोट्स
भाकियू के जिला प्रधान बक्खा ¨सह ने कहा कि सरकार ने खरीफ की फसलों में जो वृद्धि की है, वो किसानों के हित में लिए गया अच्छा फैसला है। वर्तमान सरकार ने किसानों के लिए सराहनीय कदम उठाया है। सरकार को चाहिए कि समय-समय पर किसान हित में इस तरह के निर्णय लें।