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नागरिक अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

डॉक्टरों का अभाव होने से नागरिक अस्पताल सफेद हाथी बन चुका है। बिना इलाज लौटने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों जेब खाली करनी पड़ रही है। अस्पताल में डॉक्टरों की ड्यूटी दूसरे अस्पतालों में लगा देने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 08:06 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 08:06 AM (IST)
नागरिक अस्पताल में मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

संवाद सूत्र, नीलोखेड़ी : डॉक्टरों का अभाव होने से नागरिक अस्पताल सफेद हाथी बन चुका है। बिना इलाज लौटने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों जेब खाली करनी पड़ रही है। अस्पताल में डॉक्टरों की ड्यूटी दूसरे अस्पतालों में लगा देने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल के चक्कर लगाने के बाद मरीज खाली हाथ लौट रहे हैं। इमरजेंसी के मरीज को करनाल रेफर करने का खेल आम बन चुका है।

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पांच साल पहले जब नागरिक अस्पताल का दर्जा बढ़ाया गया था तो लोगों में उम्मीद की एक किरण जागी थी। नतीजा ढाक के तीन पात। दर्जा बढ़ा कर नागरिक अस्पताल कर दिया गया और डॉक्टरों की तादाद भी बढ़ा दी गई लेकिन कुछ ही दिनों बाद अनेक डाक्टरों की ड्यूटियां जिले के दूसरे अस्पतालों में लगा दी गई। डॉ. ओपी सैनी पांच दिन करनाल बैठते हैं और मंगलवार तथा शानिवार को नीलोखेड़ी सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह, डॉ. प्रदीप की ड्यूटी भी पांच दिन के लिए करनाल में लगा दी गई। महिला डॉक्टर करिश्मा व डॉ. वन्दना तैनात हैं, लेकिन इन दोनों लेडिज डाक्टरों की ड्यूटी हफ्ते में तीन दिन तरावड़ी के सरकारी अस्पताल में लगा दी गई। हालात यह है कि एक दिन डॉक्टर नीलोखेड़ी तो दूसरे दिन अन्य स्थान पर तैनाती दे रहे हैं। रेफर करने का खेल हुआ आम

दूसरे अस्पतालों में ड्यूटी लगने से डॉक्टर मरीजों को दाखिल नहीं करते हैं। इमरजेंसी के मरीजों को देखते ही उन्हें सीधा करनाल रेफर कर दिया जाता है। जंग बहादुर को चोट लग गई लेकिन इमरजेंसी में डॉक्टर न होने से दूसरे डॉक्टर को प्रार्थना करके ईलाज के लिए बुलाया गया। एसएमओ डॉ. प्रेमलता ने बताया कि अधिकतर डॉक्टरों की ड्यूटी दूसरे अस्पतालों में लगे होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को लिखा जाएगा ताकि अस्पताल में इलाज उपलब्ध करवाया जा सके।


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