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अधिकारियों की टीम ने किया विद्यालय का दौरा, छात्राओं से की बातचीत

गांव मटौर में बने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के छात्रावास में बीमार छात्राओं की दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के बाद जिला शिक्षा अधिकारी जो¨गद्र ¨सह हुड्डा टीम के साथ छात्रावास पहुंचे। कमरों का निरीक्षण करने के साथ ही अकेले में छात्राओं से बातचीत भी की। बाहरी व्यक्ति अंदर कैसे घुस आए इसके लिए वार्डन को फटकार भी लगाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 10:37 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 10:37 PM (IST)
अधिकारियों की टीम ने किया विद्यालय का दौरा, छात्राओं से की बातचीत

जागरण संवाददाता, कैथल : गांव मटौर में बने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के छात्रावास में बीमार छात्राओं की दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के बाद जिला शिक्षा अधिकारी जो¨गद्र ¨सह हुड्डा टीम के साथ छात्रावास पहुंचे। कमरों का निरीक्षण करने के साथ ही अकेले में छात्राओं से बातचीत भी की। बाहरी व्यक्ति अंदर कैसे घुस आए इसके लिए वार्डन को फटकार भी लगाई।

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बता दें कि मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम ने छात्रावास पहुंचकर छात्राओं का हाल जाना था। छात्रावास में रह रही 78 में से आधी से ज्यादा छात्राएं बीमार थी, जिनमें से करीब 20 को प्रबंधन ने घर भेज दिया था। छात्राओं ने सुविधाओं की कमी व वार्डन पर मारपीट करने के आरोप लगाए थे। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि छात्राओं ने उनके सामने ऐसी कोई शिकायत नहीं की है।

छात्राओं को नहीं मिल पा रही सुविधाएं

छात्राओं ने आरोप लगाया था कि यहां कोई सुविधा नहीं मिल रही है। दो साल से वर्दी नहीं मिली है। फ्रिज, इनवर्टर खराब पड़े हैं, खाना अच्छा नहीं मिलता है। तीन साल से बेडशीट नहीं बदली गई है। इससे काफी परेशानी आ रही है। छात्राएं बीमार पड़ रही हैं।

कैथल में खुले थे तीन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय

पिछड़े क्षेत्रों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय पूरे प्रदेश में खोले गए हैं। कैथल जिले में राजौंद में एक व कलायत में दो स्कूल खोले गए थे। इनमें से छात्राओं के अभाव में राजौंद स्कूल पहले ही बंद हो चुका हैं। सजूमा व मटौर में चल रहे बालिका विद्यालय में हालात बदतर हैं। एक अधिकारी ने बताया कि स्कूलों के लिए करोड़ों रुपये का बजट आता है लेकिन स्टाफ सदस्यों की आपसी खींचतान के कारण छात्राओं को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

बॉक्स

जिला शिक्षा अधिकारी ने खबर छपने के बाद फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा। कार्यालय में भी मी¨टग का हवाला देकर बातचीत करने से मना कर दिया। समग्र शिक्षा अभियान जिसके माध्यम से स्कूल को चलाया जा रहा है, उन्होंने भी बजट व स्कूल संबंधी सारी जानकारी डीईओ से ही लेने की बात कही।


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