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पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने किया प्राचीन शिव मंदिर का दौरा

जर्जर हो चुके पंचरथ शैली में निíमत प्राचीन शिव मंदिर के संरक्षण के लिए चंडीगढ़ से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम पहुंची। सुपरीटेंडेंट जुल्फीकार अली ने टीम के साथ लगभग दो घंटे बारीकी से निरीक्षण किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 10:45 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 10:45 AM (IST)
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने किया प्राचीन शिव मंदिर का दौरा

संवाद सहयोगी, कलायत :

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जर्जर हो चुके पंचरथ शैली में निíमत प्राचीन शिव मंदिर के संरक्षण के लिए चंडीगढ़ से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम पहुंची। सुपरीटेंडेंट जुल्फीकार अली ने टीम के साथ लगभग दो घंटे बारीकी से निरीक्षण किया। जुल्फीकार अली ने कहा कि पुरातत्व विभाग प्राचीन स्मारकों के वास्तविक स्वरूप को लंबे समय तक बचाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि कलायत स्थित शिवालय के स्मारक संरक्षित रखने के लिए पूर्व में भी कार्य किया गया था व कुछ काम अधूरा रह गया था जिस पर दोबारा से काम शुरू किया जाएगा। अली ने कहा कि स्मारक में जो ईंटें खराब हो चुकी हैं उनकी जगह उच्चकोटि की ईंटों का इस्तेमाल कर बदला जाएगा और अच्छी ईंटों से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके संरक्षण के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है और शिवालय के स्मारक संरक्षण का कार्य पारदशिर्ता से करवाया जाएगा और होने वाले कार्य की पूर्ण जानकारी बोर्ड पर चस्पा करवाई जाएगी।

बॉक्स

संरक्षण के नाम पर की गई लीपापोती :

नगरवासी नरेश वर्मा, राजेश कुमार, ईश्वर मौण, कृष्ण दखला व राहुल ने बताया कि मंदिर की जर्जर हालात को ठीक करवाने के लिए वे कई वर्षों से गुहार लगाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग ने स्मारक का कई बार दौरा तो किया लेकिन संरक्षण के नाम पर केवल लीपापोती की है। कलायत की धरा पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर वास्तुकला का अनूठा नमूना है। शिव मंदिर निर्माण में बिना गारा के सुंदर रूप से तराशी गई ईंटों का प्रयोग किया गया है। सातवीं-आठवीं शताब्दी में निíमत यह मंदिर प्रारभिक शैली के गुर्जर प्रतिहार कला का उत्तम उदाहरण है। रोजर (1878-79) में भी इस मंदिर का उल्लेख किया है। इसका चकोर गर्भ गृह अंतराल व मंडप से युक्त इसके शिखर पर छत्ता कार लघु चैत्य द्वार के प्रतीक है, जो कि मेहराबी अलंकरण द्वार सु-सच्जित है।

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