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अब बाबा राजपुरी डेरे में लगने वाले मेले में तीसरे महंत करेंगे पूजा व ध्वज रस्म को पूरा

बाबा लदाना गांव में बाबा राजपुरी डेरे के गद्दी विवाद को सुलझाने की दिशा में प्रशासन ने अहम निर्णय लिया है। दशहरे पर मठ में लगने वाले तीन दिवसीय मेले के दौरान व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अब डेरे में गद्दी पर तीसरे महंत को बैठाने का फैसला किया गया है। मेले से पूर्व होने वाली पूजा पाठ और ध्वज चढ़ाने की परंपरा महंत प्रेमपुरी और दूजपुरी के अलावा इस बार तीसरा महंत पूरी करेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 12:15 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 12:15 PM (IST)
अब बाबा राजपुरी डेरे में लगने वाले मेले में तीसरे महंत करेंगे पूजा व ध्वज रस्म को पूरा

जागरण संवाददाता, कैथल : बाबा लदाना गांव में बाबा राजपुरी डेरे के गद्दी विवाद को सुलझाने की दिशा में प्रशासन ने अहम निर्णय लिया है। दशहरे पर मठ में लगने वाले तीन दिवसीय मेले के दौरान व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अब डेरे में गद्दी पर तीसरे महंत को बैठाने का फैसला किया गया है। मेले से पूर्व होने वाली पूजा पाठ और ध्वज चढ़ाने की परंपरा महंत प्रेमपुरी और दूजपुरी के अलावा इस बार तीसरा महंत पूरी करेगा।

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तीसरे महंत का चयन प्रेमपुरी और दूजपुरी पक्ष के दो-दो ग्रामीण करेंगे। बुधवार को गांव बाबा लदाना सहित आसपास के 25 गांवों के लोगों से बनाई गई 41 सदस्यीय कमेटी के सदस्य इस संबंध में डीसी से मिलने पहुंचे। ग्रामीणों व कमेटी के सदस्यों ने बताया कि दशहरे पर डेरे में हर वर्ष विशाल मेला लगता है। प्रदेश के साथ-साथ देश व विदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। मेले से पूर्व श्रद्धालुओं की सुख समृद्धि की कामना के लिए यहां कई दिन तक लगातार माता की पूजा अर्चना होती है। इसके बाद हवन यज्ञ कर बाबा राजपुरी डेरे में लगे सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ पर बाबा का ध्वज फहराया जाता है। यह परंपरा शुरुआत से चली आ रही है।

उन्होंने बताया कि पूजा पाठ और ध्वज से संबंधित कार्य डेरे का महंत ही करता है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि मेले से पूर्व गद्दी विवाद को सुलझाने में ग्रामीणों और कमेटी सदस्यों की सहायता की जाए ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

पांच लाख श्रद्धालु चढ़ाते हैं समाधि पर दूध व अनाज

यहां मेला दशहरा पर्व से अगले दिन लगता है। तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित आसपास के राज्यों से करीब पांच लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। दूध व अनाज चढ़ाने की यहां परंपरा है। मान्यता है कि यहां दूध चढ़ाने से पशुओं में कोई बीमारी नहीं आती।

दोनों पक्षों से दो-दो सदस्य करेंगे तीसरे महंत का चयन

डीसी धर्मवीर ¨सह ने कहा कि महंत प्रेमपुरी और दूजपुरी पक्ष से दो-दो ग्रामीण तीसरे महंत का चयन करेंगे। वही मेले की रस्म को पूरा करेंगे। इस पर प्रेमपुरी के समर्थकों ने ग्रामीण आभेराम और धर्म¨सह को उनकी ओर से मनोनित किया। डीसी ने बताया कि दूसरे पक्ष से भी दो ग्रामीणों को लिया जाएगा।


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