निर्भया केस : दोषियों को फांसी की सजा का महिलाओं ने किया स्वागत
वर्ष 2012 में निर्भय के साथ हुए दुष्कर्म करने वाले चारों दोषियों को शुक्रवार को फांसी दिए जाने के बाद महिला वर्ग ने इस फैसले का स्वागत किया है। इ
जागरण संवाददाता, कैथल :
वर्ष 2012 में निर्भय के साथ हुए दुष्कर्म करने वाले चारों दोषियों को शुक्रवार को फांसी दिए जाने के बाद महिला वर्ग ने इस फैसले का स्वागत किया है। इस फैसले पर महिलाओं का कहना है कि निर्भया के स्वजनों को इंसाफ मिलने में भले ही सात साल लग गए हैं, लेकिन न्यायपालिका ने दरिदों को बिल्कुल सही सजा दी है। महिलाओं ने कहा कि देश में जो भी व्यक्ति महिलाओं की सम्मान नहीं दे सकता और उसके साथ घिनौना कार्य करता है तो उसे ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए, यदि ऐसा होगा तो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगेगा।
निर्भया की आत्मा को शांति मिली :
मीना शर्मा डोहर ने कहा कि हमारे बीच निर्भया तो नहीं, लेकिन उसकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी। क्योंकि सात साल बाद निर्भया की मां के हक में फैसला आया है। उसको देखते हुए हम महिलाओं को कानून पर विश्वास तो हुआ ही है की देर में ही भले ही इंसाफ तो जरूर मिलता है। 16 दिसंबर 2012 को जब 23 वर्षीय निर्भया इन चार दरिदों के बीच में फस गई थी और उन्होंने इसके साथ जो दरिदगी की, आज उसका हिसाब चुकता हुआ है।
महिलाओं का विश्वास न्याय प्रणाली पर बढ़ा :
महिला समाज सुधार समिति की चेयरपर्सन रमनदीप कौर ने बताया कि इंसानों के रूप में उग्र किस्म के लोग अपराध को बढ़ावा देते हैं। इन्होंने निर्भय के साथ गलत किया था, जिसकी उन्हें सजा मिल गई है। इन दरिदों को दी गई फांसी के बाद पूरे देश की महिलाओं का विश्वास न्याय प्रणाली पर बढ़ा है। न्याय प्रणाली से आगे भी यही उम्मीद है कि आगे भी ऐसी हरकत करने वाले दरिदों को फांसी की सजा मिलेगी। कानून लचीला होने के कारण न्याय मे देरी हुई :
एडवोकेट किरण शर्मा ने बताया कि निर्भया के दोषियों को सजा मिलना पूरे समाज के लिए एक नजीर है, यदि इसी प्रकार दोषियों को सजा मिलने लगे तो समाज से दुष्कर्म जैसा घिनौना अपराध पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। देश का कानून अत्यंत लचीला होने के कारण न्याय मे देरी हुई, लेकिन जीत तो सत्य को मिली है, इस फैसले के पूरा होने के बाद लोगों को न्याय प्रणाली पर और अधिक विश्वास बढ़ रहा है।