डीईओ की फरियाद पर विज ने कहा कुछ नहीं हो सकता अब
जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज धीमी शुरूआत के बाद धीरे धीरे अपने रंग में लौट आए। पहली ही शिकायत ड्रॉप करने के बाद दूसरी शिकायत पर मंत्री ने जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए 20 मिनट खर्च कर दिए। उसके बाद अपने चिर परिचित अंदाज में एक मामले की सुनवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को गैर हाजिर रहने पर सस्पेंड और जन स्वास्थ्य विभाग के जेई को पाइपलाइन बिछाने के मामले में अनियमितता पाए जाने पर चार्ज शीट करने के आदेश दिए।
जागरण संवाददाता, कैथल : जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज धीमी शुरूआत के बाद धीरे धीरे अपने रंग में लौट आए।
पहली ही शिकायत ड्रॉप करने के बाद दूसरी शिकायत पर मंत्री ने जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए 20 मिनट खर्च कर दिए। उसके बाद अपने चिर परिचित अंदाज में एक मामले की सुनवाई करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को गैर हाजिर रहने पर सस्पेंड और जन स्वास्थ्य विभाग के जेई को पाइपलाइन बिछाने के मामले में अनियमितता पाए जाने पर चार्ज शीट करने के आदेश दिए।
मंत्री ने बैठक में नई पुरानी 12 शिकायतें सुनी। कलायत निवासी सुरेश कुमार ने उनकी बेटी को पिछले दो वर्ष से प्रोत्साहन राशि नहीं दिए जाने की शिकायत मंत्री के सामने रखी। मंत्री ने मामले में जिला शिक्षा अधिकारी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया तो ना तो डीईओ बैठक में मौजूद थे और ना ही शिक्षा विभाग से कोई अन्य अधिकारी, कर्मचारी।
इससे खफा मंत्री ने डीईओ को सस्पेंड करने के आदेश दे दिए। डीईओ को जानकारी मिलते ही वह तुरंत सभागार में पहुंचे। उन्होंने मंत्री को पत्र दिखाते हुए कहा कि उनको तीन बजे बैठक होने की जानकारी दी गई थी। उनके पास बैठक के संबंध में अन्य कोई सूचना नहीं थी। मंत्री ने डीईओ की बात सुनने के बाद भी आदेश बदलने से इंकार कर दिया और कहा कि अब कुछ नहीं हो सकता।
बॉक्स
एफआइआर दर्ज कराओ
जमीन के एक पुराने पेचीदा मामले में मंत्री अनिल विज ने मामला कोर्ट में लंबित होने की बात कहते हुए खुद को अलग कर लिया। मंत्री ने शिकायतकर्ता गांव नागल निवासी केवल ¨सह से कहा कि वह या तो उनके दरबार में ही आते या कोर्ट जाते। अब मामला कोर्ट में है तो वह इसमें कुछ नहीं कर सकता। हालांकि 20 मिनट तक मामले में जांच अधिकारी एडीसी पार्थ गुप्ता और शिकायतकर्ता की बात सुनी। एडीसी ने कहा कि इस मामले में संबंधित फाइल चंडीगढ़ भेजी गई थी जो 1984 में गुम हो गई थी। उसके कई सालों बाद मामले को रिकंस्ट्रक्ट करने के आदेश दिए हुए थे। चंडीगढ़ में फाइल गुम करने पर मंत्री ने एडीसी से स्पष्टीकरण मांगा। साथ ही कैथल में एफआइआर दर्ज करवाने के आदेश दिए। साथ ही कौन कौन अधिकारी कोर्ट में स्टे के दौरान मौजूद थे उनका ब्योरा उपलब्ध करवाया जाए।
बॉक्स
मंत्री ने डीसी को दिए मामले
में पक्ष सुनने के आदेश
पट्टी की जमीन पर मालिकाना हक देने के मामले में डीसी अपना फैसला सुना चुकी थी और आदेश भी जारी कर दिए थे। मामले में 85 वर्षीय बुजुर्ग खुद को तर्क पर तर्क देकर सही ठहरा रहे थे। मंत्री ने गांव बिरथे बाहरी निवासी करतार ¨सह से कहा कि वह उनसे बहुत प्रभावित हैं। मंत्री ने बार बार प्रार्थना पर डीसी को सोमवार को बुजुर्ग का दोबारा पक्ष सुनने के आदेश दिए।
बॉक्स
मंत्री ने महिला को कहा
कोर्ट में करें केस
पूंडरी की महिला रोजी ने मंत्री विज के सामने शिकायत करते हुए कहा कि पूंडरी नगर पालिका के अधिकारियों ने मिलीभगत कर ससुर की घर की जमीन से उनके पति का ही नाम निकाल दिया। नप अधिकारी ने मामले में सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ऐसा करने की बात मानी। मंत्री ने कहा कि सर्वे के आधार पर किसी की संपत्ति से नाम नहीं हटाया जा सकता है।
महिला के साथ आए सीए सतीश ¨सघल ने मामले को अन्य मामलों से जोड़ते हुए अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने और लोगों से पैसे लेने के आरोप लगाए। मंत्री पर भी कई मामलों की शिकायत करने और एक्शन नहीं लेने के आरोप सीए ने जड़ दिए। मंत्री ने सीए से कहा कि वह बताएं कौन से मामले की बात कर रहे हैं तो सीए चुप रहे।
बॉक्स
कहीं मंत्री जी ना बदल जाएं
गांव नौच निवासी राजेंद्र कुमार का मामला काफी पुराना है। पिछली कई बैठकों से कष्ट निवारण समिति की बैठक में भी रखा गया था। संबंधित विभाग ने पिछली बैठक में भी फाइल सीएम कार्यालय में लंबित होने की बात कही थी। इस बार भी वही जवाब था। शिकायतकर्ता ने कहा कि पहले मामले में जांच कर रहे एक्सईएन का तबादला हो गया और आपका भी ज्यादा समय नहीं बचा है। मंत्री ने कहा कि वह दोबारा सरकार में आएंगे और तुम्हारी समस्या का समाधान तो हर हालत में करके जाएंगे।
बॉक्स
डिपो धारक को किया सस्पेंड
पिछले बैठक में शिकायत के बाद डीएफएसी ने गांव सुल्तानियां निवासी मामू की शिकायत पर डिपो धारक तिलक राज को पहले ही सस्पेंड कर दिया और सिक्यॉरिटी भी जब्त कर ली। शिकायतकर्ता का आरोप था कि डिपो धारक का व्यवहार ठीक नहीं था, जिसकी पुष्टि डीएफएससी ने भी की।