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श्रम विभाग में एक माह से खाली पड़ा सहायक निदेशक का पद

श्रम कल्याण एवं भवन सन्निर्माण विभाग में पिछले एक महीने से सहायक निदेशक का पद खाली पड़ा है। अधिकारी की खाली कुर्सी मजदूरों को चिढ़ा रही है। रोजगारपाने के लिए रोजाना 20 से 30 मजदूर विभाग के कार्यालय में पहुंचते हैं, लेकिन सहायता की बजाय परेशानी लेकर घरों को लौटते हैं। कुछ मजदूरों तो 100 से 200 रुपये खर्च करके कार्यालय का सफर करते हैं, लेकिन कर्मचारी एक सप्ताह तक अधिकारी आने की बात कहकर मजदूरों को टरका देते हैं। कर्मचारी अधिकारी की अनुपस्थिति में किसी मजदूर का फार्म भी प्राप्त नहीं कर रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 12:56 AM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 12:56 AM (IST)
श्रम विभाग में एक माह से खाली  पड़ा सहायक निदेशक का पद
श्रम विभाग में एक माह से खाली पड़ा सहायक निदेशक का पद

जागरण संवाददाता, कैथल : श्रम कल्याण एवं भवन सन्निर्माण विभाग में पिछले एक महीने से सहायक निदेशक का पद खाली पड़ा है। अधिकारी की खाली कुर्सी मजदूरों को चिढ़ा रही है। रोजगारपाने के लिए रोजाना 20 से 30 मजदूर विभाग के कार्यालय में पहुंचते हैं, लेकिन सहायता की बजाय परेशानी लेकर घरों को लौटते हैं। कुछ मजदूरों तो 100 से 200 रुपये खर्च करके कार्यालय का सफर करते हैं, लेकिन कर्मचारी एक सप्ताह तक अधिकारी आने की बात कहकर मजदूरों को टरका देते हैं। कर्मचारी अधिकारी की अनुपस्थिति में किसी मजदूर का फार्म भी प्राप्त नहीं कर रहे।

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छात्रवृत्ति के लिए 31 दिसंबर आवेदन की अंतिम तिथि

भवन निर्माण कामगार यूनियन के जिला संयोजक अशोक शर्मा ने कहा कि मजदूरों के बच्चों को छात्रवृत्ति के रूप में सरकार सहायता देती है, जिसके आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर है। अधिकारी नहीं होने से हजारों की संख्या में आवेदन लंबित पड़े हैं। अगर कुछ दिनों तक अधिकारी की नियुक्ति नहीं होती है तो हजारों मजदूरों के बच्चों को यह सहायता राशि नहीं मिल पाएगी।

शादी वालों को नहीं मिल पा रहा लाभ

सरकार ने मजदूर की बेटी की शादी पर आधे पैसे पहले देने की घोषणा की है, लेकिन धरातल पर मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिस एडवांस के लिए फाइल बनवाई थी अधिकारी नहीं होने से उसकी शादी भी हो चुकी है। श्रमिकों को एडवांस तो दूर पैसा भी नहीं मिल रहा है।

महिला मजदूरों को नहीं मिल रही मशीनें

मशीनों के लिए हजारों की संख्या में महिला मजदूरों के आवेदन पिछले कई महीनों से लंबित पड़े हैं। विभाग के पास 8514 मशीनें आई थी, जिनमें से 4200 अभी भी विभाग के स्टॉक में पड़ी हैं। अधिकारी नहीं होने से ये मशीन महिला मजदूरों को नहीं मिल पा रही हैं।

फर्जी 30 प्रतिशत मजदूर

ले जाते हैं सारा लाभ

विभाग के पास इस समय 96 हजार से ज्यादा मजदूर पंजीकृत हैं। पिछले दो महीनों से पंजीकरण बंद किया हुआ है। यूनियन के जिला संयोजक विभाग के इस आंकड़े पर सवाल खड़े करते हैं। उनका कहना है कि यह आंकड़ा ही विभाग में भ्रष्टाचार को दर्शाता है। उनका कहना है कि जिला में मजदूरों की संख्या में 65 हजार से ज्यादा नहीं है। विभाग के पास करीब 30 हजार मजदूर पंजीकृत हैं। दुखद ये है कि उसके बाद भी करीब पांच से छह हजार असली मजदूर पंजीकरण के लिए भटक रहे हैं। ये 30 प्रतिशत फर्जी मजदूर ही सारी योजनाओं का लाभ ले जाते हैं और बाकी भटकते रहते हैं।

तीन हजार मजदूरों को

नहीं दी गई कापी

विभाग ने तत्कालीन सहायक निदेशक नवीन सैनी के समय कई हजारों मजदूरों का पंजीकरण किया था। उस समय के करीब तीन हजार मजदूरों को पंजीकरण की स्लिप तो दे दी गई थी, लेकिन कापी आज तक नहीं दी गई है। अब स्लिप के आधार पर उनके पंजीकरण को रिन्यू भी नहीं कर रहे हैं, जिससे मजदूर योजना के लाभ से वंचित हैं। जबकि इसमें मजदूरों को कोई कसूर नहीं है। कर्मचारी कापी मांगते हैं, कापी उन्हें दी ही नहीं गई।

बॉक्स : वापस लौटना पड़ा

गांव तारागढ़ निवासी बलबीर ¨सह का कहना था कि वह कापी रिन्यू करवाने के लिए आया था। अधिकारी नहीं होने से वापस लौटना पड़ा। गांव शहर से 20 किलोमीटर दूर है। बारिश में आने जाने में पैसे और समय दोनों बर्बाद किए।

अब तक नहीं मिला एक भी रुपया

अर्जुन नगर निवासी चतर ¨सह का कहना है कि पिछले साल कापी एक हजार रुपये खर्च करके कापी बनवाई थी। एक साल बाद फार्म भी भरे, लेकिन अब तक एक रुपया नहीं मिला है। अब वह कापी रिन्यू करवाते हुए फिर से आवेदन करने के लिए आए थे, लेकिन अधिकारी नहीं मिले तो वापस लौटना पड़ा।


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