नई शिक्षा नीति में संकायों को सीखने की प्रक्रिया का केंद्र मानना आवश्यक
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर कुलपति डा. श्रेयांश द्विवेदी ने सभी आचार्यों के साथ विचार-विमर्श किया।
जागरण संवाददाता, कैथल :
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर कुलपति डा. श्रेयांश द्विवेदी ने सभी आचार्यों के साथ विचार-विमर्श किया। चर्चा में आया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिए, जिसमें भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का संवर्धन हो, निरंतर शिक्षण पर बल दिया जाना अपेक्षित है। शिक्षकों और संकायों को सीखने की प्रक्रिया का केंद्र मानना आवश्यक है। इसके साथ ही भारतीय गौरव से बंधे रहना भी महत्वपूर्ण है। भारत की समृद्ध और विविध प्राचीन और आधुनिक संस्कृतिपरक शिक्षा पर बल दिया जाना आवश्यक है।
द्विवेदी ने कहा कि शिक्षा एक सार्वजनिक सेवा है। नई शिक्षा नीति के अनुसार मजबूत जीवन एवं सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में पर्याप्त निवेश किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के अनुसार छात्रों को भारतीय होने का गौरव महसूस होगा। शिक्षा नीति पर विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बिदु 4.9 में कला, मानविकी विषयों में समानता, 4.11 में सभी भारतीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया जाना तथा राष्ट्रीय शिक्षा का लक्ष्य भारतीय मूल्यों को समायोजित कर भारतीय शिक्षा के लिए सर्वोत्तम लक्ष्य बताते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रशंसा की।
इस मौके पर कुलसचिव प्रो. यशवीर सिंह, शैक्षणिक अधिष्ठाता डा. राजेश्वर प्रसाद मिश्र, कुलपति के विशेष अधिकारी डा. जगत नारायण कौशिक, ज्योतिषाचार्य डा. नवीन शर्मा, डा. रामानंद मिश्र, डा. विनय गोपाल त्रिपाठी मौजूद रहे।