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सीएम राहत कोष में फर्जी आवेदन की जांच अधर में

मुख्यमंत्री राहत कोष से बीमारी के नाम पर आर्थिक सहायता लेकर फर्जीवाड़ा करने के मामले की जांच करीब चार महीने बीतने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:31 PM (IST)
सीएम राहत कोष में फर्जी आवेदन की जांच अधर में
सीएम राहत कोष में फर्जी आवेदन की जांच अधर में

जागरण संवाददाता, कैथल :

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मुख्यमंत्री राहत कोष से बीमारी के नाम पर आर्थिक सहायता लेकर फर्जीवाड़ा करने के मामले की जांच करीब चार महीने बीतने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाई है। जांच कमेटी का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग को रिकार्ड देने के लिए पत्र लिखा हुआ है, जबकि विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि रिकार्ड के लिए डेढ़ महीने पहले फोन आया था, तभी रिकार्ड ले जाने के लिए बोल दिया था, लेकिन आज तक जांच कमेटी ने रिकार्ड अस्पताल से नहीं लिया है। ऐसे में मामले की जांच कब तक पूरी होगी ओर कैसी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

इस योजना का लाभ लेने वालों में 31 लोग ऐसे मिले थे जिन्होंने फर्जी तरीके से आवेदन किया था। सिविल सर्जन की शिकायत पर अगस्त माह में 24 लोगों के खिलाफ सिविल लाइन थाना में एफआइआर दर्ज हुई थी। जिले में 488 लोगों ने आवेदन किया था।

इस मामले में यह भी लापरवाही सामने आई थी कि इस योजना में गोलमाल को लेकर तीन साल पहले शिकायत दी गई थी। एक तो पहले ही इस मामले में एफआइआर काफी देर से दर्ज हुई। अब जांच में भी लापरवाही बरती जा रही है।

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अलग-अलग अस्पतालों के नाम

दर्ज कर किया था फर्जी आवेदन

लोगों ने फर्जी तरीके से योजना का लाभ लेने के लिए अलग-अलग अस्पतालों के नाम आवेदन में दिए गए। कुछ प्रमाण पत्र तो एक जैसे ही थे, जिसमें बीमारी के नाम भी ठीक से नहीं लिखे हुए थे। जब विभागीय अधिकारियों ने जांच करते हुए कुछ अस्पतालों से संपर्क कर जानकारी जुटाई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। अस्पताल ने जानकारी दी की उन्होंने तो इसे लेकर कोई प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया। इसके बाद सिविल सर्जन के आदेशों पर एक जांच शुरू हुई। डीसी कार्यालय से पांच से छह लाख की आर्थिक सहायता के क्लेम को लेकर जांच की तो गोलमाल सामने आया। 31 ऐसे आवेदन मिले थे जो फर्जी तरीके से किए हुए थे। हालांकि किसी को अभी तक लाभ नहीं दिया गया था। लाभ देने से पहले ही जांच में फर्जी आवेदन पकड़ लिए।

इन आवेदनकर्ताओं के खिलाफ सिविल लाइन थाना में शिकायत दर्ज करवाई गई। जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई उन लोगों से भी आज तक जांच कमेटी ने संपर्क नहीं किया है।

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ये है आवेदन करने का नियम

मुख्यमंत्री राहत कोष से बीमारी के इलाज को लेकर आर्थिक सहायता दी जाती है। लोगों को डीसी कार्यालय में आवेदन करना होता है। डीसी के आदेश पर इसके लिए सिविल सर्जन से बीमारी की स्थिति एवं तहसीलदार से आवेदक की आर्थिक स्थिति की पुष्टि के बाद मुख्यमंत्री सेल में रिपोर्ट भेजी जाती है। आवेदन करने वाला जिस अस्पताल से इलाज करवा रहा होता है, उस अस्पताल की तरफ से खर्चे का अनुमान का प्रमाण पत्र भी साथ लगाया जाता है। इन बीमारियों के लिए कम से कम 20 हजार व अधिक से अधिक एक लाख रुपये की सहायता पात्र लोगों को दी जाती है।

बाक्स- अभी तक नहीं मिला रिकार्ड

जांच कमेटी के इंचार्ज इंस्पेक्टर जसवंत ¨सह ने कहा कि मामले की जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग को रिकार्ड देने के लिए पत्र लिखा हुआ है। अभी तक रिकार्ड नहीं मिला है, जैसे ही रिकार्ड मिलता है जांच आगे बढ़ाई जाएगी। बाक्स-

सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र नैन ने कहा कि हमारी तरह से कोई कमी नहीं है। कई माह पहले रिकार्ड लेने के लिए फोन आया था। रिकार्ड ले जाने के लिए बोल दिया था, दोबारा से न तो कोई रिकार्ड लेने के लिए आया ओर न ही उनके पास किसी का फोन आया है। ----------------


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