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बड़े भाई से योगेश ने सीखा पंच चलाना, नेशनल में जीता स्वर्ण

गांव किठाना निवासी बॉक्सर योगेश ढांडा ने छोटी उम्र में बड़ा कारनामा कर दिखाया है। दस साल के योगेश ने चार से छह नवंबर को रेवाड़ी में हुई राज्य स्तरीय बॉ¨क्सग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया। करीब एक साल पहले ही बॉ¨क्सग का खेल शुरू किया। अपने बड़े भाई राहुल ढांडा से प्रेरित होकर बॉ¨क्सग शुरू किया। बड़े भाई को बॉ¨क्सग में मेडल लाते देखा तो खेलने का जज्बा पैदा हुआ। राहुल भी नेशनल स्तर का बॉ¨क्सग खिलाड़ी है और तीन बार नेशनल में गोल्ड हासिल कर चुका है। बचपन से ही बड़े भाई को खेलते देखा तो खुद भी बॉ¨क्सग के ¨रग में उतर गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 12:32 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 12:32 AM (IST)
बड़े भाई से योगेश ने सीखा पंच चलाना, नेशनल में जीता स्वर्ण
बड़े भाई से योगेश ने सीखा पंच चलाना, नेशनल में जीता स्वर्ण

सुनील जांगड़ा, कैथल : गांव किठाना निवासी बॉक्सर योगेश ढांडा ने छोटी उम्र में बड़ा कारनामा कर दिखाया है। दस साल के योगेश ने चार से छह नवंबर को रेवाड़ी में हुई राज्य स्तरीय बॉ¨क्सग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया। करीब एक साल पहले ही बॉ¨क्सग का खेल शुरू किया। अपने बड़े भाई राहुल ढांडा से प्रेरित होकर बॉ¨क्सग शुरू किया। बड़े भाई को बॉ¨क्सग में मेडल लाते देखा तो खेलने का जज्बा पैदा हुआ। राहुल भी नेशनल स्तर का बॉ¨क्सग खिलाड़ी है और तीन बार नेशनल में गोल्ड हासिल कर चुका है।

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बचपन से ही बड़े भाई को खेलते देखा तो खुद भी बॉ¨क्सग के ¨रग में उतर गया। योगेश इससे पहले भी दिसंबर 2017 में हुई नेशनल प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल हासिल कर चुका है। अब वह छठी कक्षा में इंडस स्कूल में पढ़ाई कर रहा है। पिता रणधीर ढांडा फौज से रिटायर्ड हो चुके हैं, लेकिन आज भी एथलेटिकस के खिलाड़ी हैं। भाई और पिता बाक्सिंग के खिलाड़ी है। इसलिए दोनों ने हमेशा ही खेल के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से ही आज वह जिले का नाम रोशन कर रहा है। कोच राजेंद्र ¨सह, गुरमीत ¨सह व विक्रम ने हमेशा बॉ¨क्सग की नई-नई तकनीकें सिखाई। बॉक्स

रोजाना चार घंटे करता अभ्यास

योगेश एक साल से लगातार रोजाना चार घंटे अभ्यास करता है। दो घंटे सुबह व दो घंटे शाम को ¨रग में बॉ¨क्सग खेलता है। इसके अलावा सुबह-शाम दौड़ भी लगाता है ताकि शरीर स्वस्थ रहे। खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कोच गुरमीत ने बताया की योगेश एक दिन जिले का ही नहीं देश का नाम रोशन करेगा। हर नई तकनीक को वह आसानी से सीख लेता है। खेल के लिए यही जज्बा रहा तो एक दिन बड़ा बॉक्सर बनेगा।

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देश के लिए गोल्ड जीतना लक्ष्य

फिलहाल योगेश कम आयु व भार वर्ग में खेल रहा है। उसका लक्ष्य देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने का है। इसके लिए निरंतर अभ्यास जारी रखा जाएगा। खेल के लिए पूरा समय दिया जाएगा ताकि अपने सपने को पूरा किया जा सके। भाई राहुल समय-समय पर छोटे भाई को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।


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