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सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 18 से मंडियों में शुरू होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

तीन अध्यादेशों लस्टर लोस और आढ़त की राशि नहीं देने के विरोध में प्रदेश भर के आढ़तियों ने हुंकार भर ली है। किसानों की पिपली रैली के बाद अब आढ़तियों ने प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 06:03 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 06:03 AM (IST)
सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 18 से मंडियों  में शुरू होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल
सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 18 से मंडियों में शुरू होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

जागरण संवाददाता, कैथल: तीन अध्यादेशों, लस्टर लोस और आढ़त की राशि नहीं देने के विरोध में प्रदेश भर के आढ़तियों ने हुंकार भर ली है। किसानों की पिपली रैली के बाद अब आढ़तियों ने प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है।

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इसके चलते कैथल में शनिवार को हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि पांच दिन (शनिवार सहित) में सरकार ने उनकी यह तीनों मांगें नहीं मानीं तो छठे दिन 18 सितंबर को सभी मंडियों में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो जाएगी।

बैठक की अध्यक्षता एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष रजनीश चौधरी ने की। बता दें कि एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गोयल के अस्वस्थ होने के चलते कार्यकारी अध्यक्ष रजनीश की अध्यक्षता में बैठक हुई।

सभी जिलों से आए मंडी प्रधानों ने कहा कि पिपली रैली में हिस्सा लेने जा रहे किसानों और आढ़तियों पर लाठीचार्ज के आदेश देने वाले अधिकारियों पर केस दर्ज हों। अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तो वे आने वाले धान के सीजन में कोई खरीद नहीं करेंगे। आढ़तियों ने अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके दास पर आढ़तियों और किसानों का भाईचारा खराब करने का आरोप लगाते हुए सरकार से उन्हें हटाने की मांग भी की। आढ़तियों ने मेरा फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल का विरोध करते हुए ऐलान कर दिया कि मंडी का सिस्टम सरकार नहीं, उनके हिसाब से चलेगा।

अध्यादेश का विरोध क्यों?

कार्यकारी प्रधान रजनीश चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन अध्यादेश जारी किए हैं। इनमें से एक मंडी से बाहर फसल खरीदने-बेचने पर मार्केट फीस नहीं देने वाला अध्यादेश पूरी तरह से आढ़तियों को उजाड़ने वाला है। सरकार की मंशा उनके कारोबार को खत्म करने की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने तीन सांसदों की जो कमेटी बनाई है, वह सिर्फ किसानों को लेकर है। आढ़तियों का उसमें कोई जिक्र तक नहीं किया गया है। रोहतक में कमेटी की बैठक हुई, लेकिन उसमें किसी भी आढ़ती या एसोसिएशन के पदाधिकारी को नहीं बुलाया गया। इसका मतलब यही हुआ कि उनको सरकार ने दरकिनार कर दिया है और अब उन्हें धंधे बंद कराने की साजिश रच रही है।

बात सिर्फ चेयरमैन करेंगे

एसोसिएशन के उपप्रधान धर्मवीर मलिक पानीपत का कहना था कि सरकार के बुलावे पर कोई भी आढ़ती अपने स्तर पर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या किसी भी अधिकारी से बात नहीं करेगा। यह फैसला सिर्फ एसोसिएशन के चेयरमैन का होगा। उन्होंने बताया कि उनके पास शनिवार सुबह भिवानी के सांसद धर्मवीर का फोन आया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए बात करने से मना कर दिया कि कोई भी बातचीत एसोसिएशन के स्तर पर ही होगी।

160 करोड़ पहले, बात बाद में

एसोसिएशन के सचिव सुरेंद्र बिश्नोवा ने कहा कि प्रदेश सरकार की तरफ आढ़तियों के लस्टर लोस के 160 करोड़ रुपये लंबित हैं। आढ़त पर 42 करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज है। जब तक सरकार उनके एक-एक पैसे का भुगतान नहीं कर देती, किसी भी स्तर पर कोई बातचीत नहीं होगी। सरकार को इसके लिए 17 सितंबर तक पांच दिन का समय दिया गया है। 18 सितंबर को प्रदेश की सभी मंडियां अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी जाएंगी।

कृषि मंत्री के बयान से बिफरे आढ़ती

मंडी एसोसिएशन ने कृषि मंत्री जेपी दलाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने आढ़तियों को सूदखोर और लुटेरा कहा है। यह साबित करता है कि सरकार उनके बारे में क्या सोचती है। । कैथल के प्रधान अश्वनी शोरेवाला ने कहा कि इन पांच दिनों में एसोसिएशन 18 के बाद के आंदोलन की रणनीति तय करेगी कि सरकार से बातचीत कैसे और किस स्तर पर करनी है। आंदोलन को किस तरह से आगे बढ़ाना है। यह सब वाट्सएप ग्रुप पर तय किया जाएगा।


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