शहर में बेलगाम दौड़ते भारी वाहन, प्रशासन नाकाम
शहर में भारी वाहनों के प्रवेश पर जिला प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। कार्रवाई के नाम पर सप्ताह में एक या दो बार वाहनों के चालान किए जाते हैं और इसके बाद फिर पूरी व्यवस्था राम भरोसे छोड़ दी जाती है।
जागरण संवाददाता, कैथल : शहर में भारी वाहनों के प्रवेश पर जिला प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। कार्रवाई के नाम पर सप्ताह में एक या दो बार वाहनों के चालान किए जाते हैं और इसके बाद फिर पूरी व्यवस्था राम भरोसे छोड़ दी जाती है।
पिछले दो महीने से आरटीए विभाग के सचिव का पद खाली होने से हालात और बदतर हो गए हैं। रोजाना सैकड़ों की संख्या में भारी वाहन शहर में प्रवेश कर रहे हैं। पैदल चलने वाले और हलके वाहन चालकों की जान सांशत में है। भारी वाहनों के शहर में प्रवेश से पूरा दिन जाम लगा रहता है। कई बार तो ये वाहन बाजारों के अंदर भी प्रवेश कर जाते हैं।
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नहीं रूक रहे हादसे
करीब छह महीने पहले आइटीआइ और करीब दो महीने पहले लघु सचिवालय के साथ में ही स्कूटी पर सवार दादा-पोता को ट्रक चालक ने कुचल दिया था। इसके अलावा छोटे-छोटे हादसे रोजाना होते हैं। प्रशासन ने ऐसे हादसे दोबारा ना हों इसके लिए भी कोई कदम नहीं उठाया है।
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वाहनों को रोकने के लिए
शहर में नहीं बैरियर
भारी वाहनों के शहर में प्रवेश को रोकने के लिए कहीं भी बैरियर नहीं लगाए गए हैं। एकाध जगह पर जो बैरियर बनाए गए थे या तो वो टूट चुके हैं या फिर तोड़ दिए गए हैं। करनाल बाइपास, जींद रोड बाइपास, अंबाला रोड बाइपास व चीका बाइपास पर पुलिसकर्मी तो बैठे रहते हैं, लेकिन ये भारी वाहनों के शहर के अंदर आने जाने से नहीं रोकते हैं।
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यहां से आसानी से कर जाते हैं प्रवेश
-ढांड रोड, पाडला, खनौरी रोड, चंदाना रोड की तरफ से भी भारी वाहन शहर में आसानी से प्रवेश कर रहे हैं। यहां भारी वाहनों को रोकने के लिए ना तो कभी आरटीए विभाग के अधिकारी, कर्मचारी खड़े होते हैं और ना ही यहां पर कोई पुलिस नाका बनाया गया है।
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ये भी है समस्या
- शहर के अंदर संकरी सड़कों पर भी रेता, बजरी, प्लाइवुड, लकड़ी के आरे तथा अन्य बड़े बड़े व्यवसायिक शोरूम व गोदाम बनाए गए हैं। इसके अलावा शहर के अंदर किसी न किसी स्थान पर निर्माण कार्य चलता रहता है। इस पर पूरा दिन लो¨डग और अनलो¨डग का कार्य चलता रहता है। इसके कारण भारी वाहन बेरोक टोक पूरा शहर से निकलते हैं।
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भारी वाहनों से हर महीने
80 लाख कमा रहा विभाग
आरटीए विभाग भारी वाहनों के चालान काटकर करीब 80 लाख रुपये जुर्माना करता है। सप्ताह में एक या दो बार चालान करने के लिए अधिकारी सड़कों पर होते हैं। एक या दो दिन में ही सप्ताह का कोटा पूरा कर लिया जाता है। इससे विभाग का कोटा तो पूरा हो जाता है, लेकिन भारी वाहन बेरोक टोक चलते हैं।
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टोह में रहते ट्रक मालिकों के गुप्तचर
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रक मालिकों के गुप्तचर हर समय सचिव की गाड़ी की सूचना रखते हैं। गाड़ी की एक एक सेकेंड की सूचना ट्रक चालकों को दी जाती है। कई बार तो गुप्तचर गाड़ी के साथ साथ चलते हैं और पूरी जानकारी सांझा करते हैं। यहां तक कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी कोडवर्ड में ट्रक चालकों को दी जाती है। शहर में भारी वाहनों का प्रवेश पर डीसी और एसपी ही कोई कदम उठा सकते हैं।
बॉक्स, किए जाते हैं चालान
सहायक सचिव का अतिरिक्त चार्ज संभाल रहे सुनील का कहना है कि भारी वाहनों पर रोक टोक के लिए चालान किए जा रहे हैं। जब भी भारी वाहन रोड पर होते हैं तो चालान ही किए जाते हैं। अन्य व्यवस्था तो जिला प्रशासन ही कर सकता है।
बॉक्स : एडीसी से की जाएगी चर्चा
डीसी धर्मवीर ¨सह ने कहा कि एडीसी के आते ही बैठक कर इस पर चर्चा की जाएगी। आमजन को परेशानी ना हो इसके लिए हर जरूरी कदम उठाया जाएगा और आमजन की भी राय ली जाएगी।