दूल्हे की मौत से मातम में बदली खुशियां
संवाद-सहयोगी, गुहला-चीका : गुहला शहर के एनआरआइ विक्रम वोहरा की 31 दिसंबर को शादी ह
संवाद-सहयोगी, गुहला-चीका : गुहला शहर के एनआरआइ विक्रम वोहरा की 31 दिसंबर को शादी होनी थी। शादी से एक दिन पहले शनिवार की रात को सभी तैयारियों में जुटे थे, कोई बारात के लिए बुक की गई गाड़ियों के चालक से सुबह जल्द आने के संपर्क कर रहा था तो कोई बारात में जाने वाले परिवार के लोगों को तैयार होने के की बात कह रहा था। महिलाएं विवाह के गीत गा रही थी। यार-दोस्त डीजे पर नाच रहे थे। यह देख दूल्हा विक्रम भी डीजे पर आकर नाचने लगा। इसी बीच अचानक एक बंदूक से निकली गोली ने विवाह की खुशियों को मातम में बदलकर रख दिया। विवाह के मंगल गीतों की जगह रोने-चिल्लाने की आवाज सुनाई देनी लगी। खून से लथपथ दूल्हे व उसके दो दोस्तों को जमीन पर पड़ा देख हर किसी के होश उड़ गए। महिलाएं बेसुध हो गई। इस घटना में दूल्हे विकम की मौत हो गई। जबकि दो दोस्त विक्रम वड़ैच व नवतेज गंभीर रूप से घायल हो गए।
एनआरआइ था मृतक दूल्हा
मृतक करीब 10-12 साल पहले स्वीटजरलैंड में गया था। अब वहां पक्का हो गया था। इसके चलते उसके पास दोहरी नागरिकता थी। विक्रम अब विदेश से शादी करवाने के लिए अपने घर आया था। शादी के कुछ दिन बाद वह अपनी दुल्हन के साथ वापस विदेश जाने की भी प्ला¨नग करके आया था, लेकिन अनहोनी को कुछ ओर ही मंजूर था। इससे पूर्व भी मृतक दूल्हे के परिवार के साथ दो हादसे हो चुके हैं। इन हादसों से अभी परिवार उभरा भी नहीं था की अब इस हादसे ने परिवार को उजाड़ कर रख दिया है। पहले जो दो घटनाएं इस पीड़ित परिवार के साथ घटी थी। सबसे पहली घटना उस समय घटी जब कुछ समय पहले इस परिवार के एक सदस्य ने नगरपालिका पार्षद का चुनाव लड़ा। इसमें वह विजयी रहा। इस जीत पर समर्थक खुशी मना रहे थे। इस दौरान एक गोली चल गई। यह गोली दुर्भाग्यवश उस व्यक्ति को लगी जो विरोधी पार्टी से था। दूसरी घटना भी कुछ साल पहले की है। जब परिवार में लड़की की शादी थी। परिवार के कई सदस्य विवाह से एक दिन पहले लड़की के ससुराल में शगुन देकर वापस घर लौट रहे थे। घर से मात्र कुछ दूरी पहले एक सड़क दुर्घटना में लड़की के पिता की मौत हो गई थी। अब यह तीसरा हादसा है। इस हादसे ने परिवार की खुशियां उजाड़ कर रख दी है।
¨जदगी पर भारी पड़ा साल का अंतिम दिन
साल के अंतिम दिन लोग खुशियां मनाते हैं, नाचते हैं गाते हैं और अपने-अपने तरीके से मनोरंजन करते हैं। परंतु मृतक विक्रम की ¨जदगी पर साल का अंतिम दिन ऐसा भारी पड़ा जिसे शायद परिवार के लोग कभी भी न भूल पाएंगे। मृतक के माता व पिता ने अपने बेटे के चेहरे पर सजाने के लिए सेहरा बनवाया हुआ था और इस इंतजार में बैठे थे कि वह समय कब आए जब वे रंगबिरंगे मोतियों से जड़े सेहरे पर लगी लड़ियों के बीच में से अपने बेटे के चेहरे को देख सकें। सेहरा को देख मां व परिवार की अन्य महिलाओं की आंखों से आंसू नहीं रूक रहे थे। महिलाएं बार-बाहर बेहोश हो रही थी। आस-पड़ोस की अन्य महिलाएं उन्हें संभालने में लगी थी।
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