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राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशालाओं के लिए मौलिक निदेशालय ने भेजी जिले में 204 दरियां

राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशालाओं के लिए मौलिक निदेशालय ने दरी भेज दी हैं। बता दें कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने के बैंच टाट और दरी की कमी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 05:07 PM (IST)
राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशालाओं के लिए मौलिक निदेशालय ने भेजी जिले में 204 दरियां

जागरण संवाददाता, कैथल : राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक पाठशालाओं के लिए मौलिक निदेशालय ने दरी भेज दी हैं। बता दें कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने के बैंच, टाट और दरी की कमी है। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम बनाए गए प्राथमिक पाठशालाओं का सुधार करने की दिशा में यह पहला कदम है। पूरे राज्य में 3259 तो जिले में कुल 204 दरी भेजी गई हैं। यह दरी जिला मौलिक शिक्षा विभाग के कार्यालयों में पहुंच चुकी हैं। इन्हें जल्द ही प्राथमिक पाठशालाओं में भेजा जाएगा। यह सामान पहुंचने से अब स्कूलों में दरी व टाट-पट्टी की समस्या नहीं आएगी।

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अंग्रेजी माध्यम बने स्कूल तो बहुरने लगे दिन

बता दें कि सरकार द्वारा राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई के साथ अन्य सभी सुविधाएं देने का कार्य किया जा रहा है। जिसके तहत इन स्कूलों में विद्यार्थियों को 250 रुपये वर्क बुक के लिए तो अब दरी भेजी जा रही है। ऐसा होने से राजकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं मिलेंगी। अब जल्द ही अंग्रेजी माध्यम में तब्दील किए गए स्कूलों में नए स्टाफ सदस्य भी लगाएं जाएंगे।

इस जिले में इतनी मिली दरियां

अंबाला में 103, भिवानी में 158, चरखी दादरी में 49, फरीदाबाद में 200, फतेहाबाद में 193, गुरुग्राम में 234, हिसार में 264, जींद में 200, झज्जर में 74, कैथल में 204, करनाल में 153, कुरुक्षेत्र में 106, महेंद्रगढ़ में 70, नूंह में 164, पलवल में 135, पंचकुला में 125, पानीपत में 133, रेवाड़ी में 47, रोहतक में 125, सिरसा में 251, सोनीपत में 125 और यमुनानगर में 119 दरी भेजी गई हैं।

वर्जन :

मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशालय द्वारा राजकीय माडल संस्कृति पाठशालाओं के लिए दरियां भेजी गई हैं। कैथल में भी 204 दरी भेजी गई हैं। जल्द ही जिले में नए बने माडल संस्कृति पाठशाला में इन्हें भेजा जाएगा। इससे स्कूलों में दरी और टाट-पट्टी की समस्या कम होगी।

- चंद्रकला रापड़िया, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, कैथल।


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