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फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर ली सीएम राहत कोष से राशि,24 पर केस दर्ज

कैंसर, हृदय व गुर्दे के रोगों के कैंसर, हृदय व गुर्दे के रोगों के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर सरकार से लाखों रुपये की आर्थिक सहायता लेने का मामला सामने आया है। इस मामले में किसी बड़े गिरोह की आशंका जताई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 11:59 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 11:59 PM (IST)
फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर ली सीएम  राहत कोष से राशि,24 पर केस दर्ज
फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर ली सीएम राहत कोष से राशि,24 पर केस दर्ज

सुनील जांगड़ा, कैथल : कैंसर, हृदय व गुर्दे के रोगों के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर सरकार से लाखों रुपये की आर्थिक सहायता लेने का मामला सामने आया है। इस मामले में किसी बड़े गिरोह की आशंका जताई जा रही है।

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सिविल सर्जन डॉ.सुरेंद्र नैन की शिकायत पर सिविल लाइन थाने में 24 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मामले में बड़े गिरोह के सक्रिय होने का अंदेशा हुआ तो पुलिस को शिकायत दी गई। महिलाओं के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने प्रेम चंद निवासी मूंदड़ी, रोहित कुमार निवासी खेड़ी गुलामअली, सीता देवी निवासी मूंदड़ी, विद्या देवी निवासी चीका, दिव्या निवासी पट्टी अफगान, दीपा निवासी पट्टी अफगान, हरिश निवासी नानकपुरी कॉलोनी, शांति निवासी किच्छाना, संतरो निवासी टीक, मोमन निवासी मूंदड़ी, संतरो निवासी मूंदड़ी, पानो निवासी अजीतगढ़, राममेहर निवासी चीका, बीरो बाई, खजानी देवी निवासी प्यौदा, बिमला निवासी नानकपुरी कॉलोनी, मिल्खा ¨सह निवासी कांगथली, उदय ¨सह निवासी पोलड़, राजो देवी निवासी चीका, गीता देवी निवासी नानकपुरी कॉलोनी, चंद्रभान निवासी पोलड़ मंडी, मूर्ति देवी निवासी नानकपुरी कॉलोनी, संतोष निवासी मूंदड़ी, सुरेश कुमार निवासी धर्मपुरा के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई है। एसपी आस्था मोदी ने इसकी पुष्टि की है।

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ऐसे पकड़ा मामला

सिविल अस्पताल में प्रमाण पत्रों की जांच में पाया गया कि प्रमाण पत्र अलग-अलग अस्पताल के नाम से दिए गए हैं। कुछ प्रमाण पत्रों की शैली एक जैसी ही थी। बीमारियों के नाम भी ठीक से स्पष्ट नहीं हो पा पाए। अस्पतालों के विवरण भी ठीक नहीं पाए गए। कुछ अस्पतालों में जाकर पूछताछ की गई तो पाया कि उन अस्पतालों से प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किए गए हैं।

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यह है प्रक्रिया

कैंसर, हृदय व गुर्दे के रोगों के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता दी जाती है। जरूरतमंद मरीज को इसके लिए डीसी कार्यालय में आवेदन करना होता है। डीसी के आदेश पर इसके लिए सिविल सर्जन से बीमारी की स्थिति एवं तहसीलदार से आवेदक की आर्थिक स्थिति की पुष्टि की जाती है। इसके बाद ही मुख्यमंत्री सेल में रिपोर्ट भेजी जाती है। आवेदक जिस अस्पताल से इलाज करवा रहा होता है, उस अस्पताल की ओर से खर्चे का अनुमान का प्रमाण पत्र भी साथ लगाया जाता है। इन बीमारियों के लिए कम से कम 20 हजार और ज्यादा से ज्यादा एक लाख रुपये की सहायता दी जाती है।


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