किसान बोले, मिट्टी की सेहत के लिए नहीं जलाएंगे पराली
दैनिक जागरण अभियान पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को पराली नहीं जलाने का वैज्ञानिक महत्व बताया। इसके अलावा प्रगतिशील किसानों ने भी अपने अनुभवों को भी सांझा किया।
जागरण संवाददाता, कैथल : दैनिक जागरण अभियान पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को पराली नहीं जलाने का वैज्ञानिक महत्व बताया। इसके अलावा प्रगतिशील किसानों ने भी अपने अनुभवों को भी सांझा किया।
सेमिनार में डॉ. जसबीर और डॉ. नरेंद्र कुमार ने कहा कि पराली जलाने के कितने ही नुकसान हैं, लेकिन पराली नहीं जलाने का एक भी नुकसान नहीं है। अगर किसान खेत में आग लगाते हैं तो इससे जमीन में जरूरी 16 पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचता हैं। आग नहीं लगाकर हम इन्हीं पोषक तत्वों को बचाकर रख सकते हैं। ये पोषक तत्व मिट्टी के साथ साथ हमारे शरीर के लिए भी जरूरी है। जैसे जैसे फसलों में इन पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है, वहीं इन पोषक तत्वों की भरपाई के लिए हम बाजार से पैसे खर्च कर पेस्टीसाइड खरीदते हैं। यही पेस्टीसाइड हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे हैं। आज बीमारियां बढ़ने का कारण ये पेस्टीसाइड ही हैं। इस तरह से हम पराली को मिट्टी में मिलाकर मिट्टी की सेहत के साथ साथ ही अपना स्वास्थ्य भी बचा सकते हैं। उन्होंने किसानों को किस तरह इन अवशेष को मिट्टी में मिला सकते हैं इस बारे में जानकारी दी। डॉ. जसबीर ने दैनिक जागरण के प्रयासों की भी सराहना की। इस मौके पर किसान ईश्वर तारागढ़, सुभाष चहल, जगप्रीत फरसमाजरा भी मौजूद थे।
बॉक्स, पराली न जलाने पर बढ़ी पैदावर
मैं खुद अपने खेत में पिछले दो तीन साल से प्रयोग कर रहा हूं। इस बार एक एकड़ में भी आग नहीं लगाई है। जिन खेतों में आग नहीं लगाई है, उनमें पैदावर तो बढ़ी ही है खर्च भी कम हुआ है।
- गज्जन ¨सह, जिला प्रधान, सरपंच एसोसिएशन कैथल।
बॉक्स : तिनका तक नहीं जलाया
पिछले तीन साल से एक तिनका नहीं जलाया है। फसल अवशेष मिट्टी में मिलाए। खेतों में चलकर देखिए आज उन खेतों की मिट्टी कितनी ताकतवर बन गई है। जितना अतिरिक्त ईंधन इन अवशेष को मिट्टी में मिलाने में खर्च होता है, उससे कहीं ज्यादा पैदावर होती है। उससे भी बड़ी बात ये है कि इससे मिट्टी और मानव की सेहत सुधर रही है।
- गुरदयाल ¨सह, प्रगतिशील किसान।
बॉक्स, किसानों को करता रहूंगा प्रेरित
अब तक किसान संगठनों में काम करते रहे हैं। दैनिक जागरण की मुहिम के कारण कुछ अच्छा सीखने को मिला सेमिनार में। किसानों को भी प्रेरित करूंगा कि सरकार मना करे या ना करे, लेकिन कम से कम हमें अपनी जमीन को बचाने के लिए पराली नहीं जलानी चाहिए।
- गुलतान नैन, प्रांतीय युवा प्रभारी, भारतीय किसान संघ।
बॉक्स, पेस्टीसाइड डालकर कम कर रहे उपज
धरती ने हमें बहुत कुछ दिया है और दे ही रही है। सारे व्यवसाय ठप हो सकते हैं, लेकिन धरती माता हमें पेट भरने के लिए अन्न देती है। हम बदले में इस पर अत्याचार कर रहे हैं। अपने लालच के लिए तरह तरह के पेस्टीसाइड डालकर, आग लगाकर हम इसकी उपज कम कर रहे हैं। हमें इस त्याचार को रोकने के लिए सबसे बड़ा काम पराली नहीं जलाकर करना है।
- अंग्रेज गुराया, प्रगतिशील किसान।