धान पर पाबंदी हटाने के विरोध में किसानों ने बीडीपीओ कार्यालय पर दिया धरना
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर किसानों ने अपनी मांगों को लेकर बीडीपीओ कार्यालय चीका पर धरना दिया।
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर किसानों ने अपनी मांगों को लेकर बीडीपीओ कार्यालय चीका पर धरना दिया। धरना की अध्यक्षता एडवोकेट जीवानंद कौशिक व जसपाल सिंह ने की। मंच का संचालन जिला सचिव करतार सिंह ने किया। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के चलते दिन प्रति दिन किसानों की हालत खराब होती जा रही है। किसानों को फसल की लागत के अनुसार दाम नहीं मिलते, जिससे किसान आत्म हत्या की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। जीवानंद कौशिक ने कहा कि सरकार ने आज तक स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत के नामक योजना बना कई खंडों को डार्क जोन घोषित कर दिया है। इन डार्क जोनों में धान की फसल लगाने पर पर रोक लगा सरकार ने तानाशाही होने का प्रमाण दिया है। कौशिक ने कहा कि सरकार योजनाएं बनाने से पहले धरातल पर पूरी जानकारी नहीं जुटाती, जिससे कई बार उसकी योजनाएं फायदा पहुंचाने की बजाए नुकसानदायक साबित होती है। किसान नेताओं ने कहा कि गुहला चीका बाढग्रस्त क्षेत्र है। इस क्षेत्र में धान की फसल के अलावा कोई भी दूसरी फसल किसान के लिए लाभ दायक साबित नहीं होती।
भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए किसानों ने दिए सुझाव
किसान नेताओं ने कहा कि गिरते भूजल स्तर की चिता हर एक किसान को है। यदि सरकार किसान सभा की वर्षों से चली आ रही मांगों पर ध्यान देती तो जमीनी पानी का स्तर अधिक नीचे नहीं जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार दादुपुर नलवी नहर को दोबारा से नोटिफाइड कर इसके पानी को गुहला क्षेत्र तक लेकर आए। घग्गर व सरस्वती नदी पर छोटे छोटे बांध बना बरसात के पानी को एकत्रित किया जाए। बाद में इस पानी को किसानों को दिया जा सकता है। डार्क जोन क्षेत्र में रिचार्ज बोर लगाए जाएं। सरस्वती नदी में गिरने वाले फैक्ट्रियों के गंदे पर रोक लगाई जाए।