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प्रकृति के अनमोल संसाधन जल को बचाने के लिए आगे आएं किसान

धान अनुसंधान केन्द्र के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक डॉ. धर्म सिंह ने किसानों का आह्वान किया कि वे जल संरक्षण में अमूल्य योगदान दें ताकि प्रकृति के अनमोल संसाधन को बचाया जा सके। वर्तमान में जल संरक्षण की आवश्यकता बढ़ गई है तथा हमें जल का जरूरत अनुसार ही उपयोग करना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 09:13 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 09:13 AM (IST)
प्रकृति के अनमोल संसाधन जल को  बचाने के लिए आगे आएं किसान
प्रकृति के अनमोल संसाधन जल को बचाने के लिए आगे आएं किसान

संवाद सहयोगी, ढांड :

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धान अनुसंधान केन्द्र के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक डॉ. धर्म सिंह ने किसानों का आह्वान किया कि वे जल संरक्षण में अमूल्य योगदान दें, ताकि प्रकृति के अनमोल संसाधन को बचाया जा सके। वर्तमान में जल संरक्षण की आवश्यकता बढ़ गई है तथा हमें जल का जरूरत अनुसार ही उपयोग करना चाहिए।

डॉ. धर्म सिंह मंगलवार को कृषि महाविद्यालय कौल में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जल शक्ति अभियान विषय पर आयोजित जिला स्तरीय किसान मेले में उपस्थित किसानों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले जल संरक्षण अभियान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कृषि महाविद्यालय कौल के विद्यार्थियों द्वारा गांव कौल में जागरूकता रैली भी निकाली।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भविष्य की जल की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जल शक्ति अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत जल का संचय करना, सूखे बोरवैल पुनर्जीवित करना, वाटर शेड तथा पौधारोपण शामिल हैं।

डा. जसबीर सिंह ने जल संरक्षण के विशेष उपायों के बारे में किसानों को बताया कि धान की सीधी बिजाई करें, कम पानी की आवश्यकता वाली फसलें उगाएं, सिचाई की सूक्षम एवं फव्हारा तकनीक अपनाए, बंद पड़े नलकूपों द्वारा बरसाती पानी जमीन में पहुंचाए, पक्के मकानों की छत के बरसाती पानी का सही इस्तेमाल करें।

किसान अपना सहयोग दें

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. पवन शर्मा कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष भर के जल के संचय के लिए जल शक्ति अभियान शुरू किया गया है। सभी किसान इस अभियान में अपना पूर्ण सहयोग दें। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुआवजे के लंबित मामलों के निपटारे के लिए संबंधित बीमा कंपनियां के प्रतिनिधि कैथल के लघु सचिवालय स्थित विभाग के कार्यालय में सभी कार्य दिवसों में उपस्थित रहेंगे। कृषि महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओपी लठवाल ने कहा कि किसान फसलों के अवशेषों को आग न लगाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन योजना का लाभ उठाकर इन अवशेषों को कृषि यंत्रों की मदद से भूमि में मिलाएं ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ सके।

ये रहे मौजूद

बागवानी विभाग के डॉ.प्रमोद कुमार,पशुपालन विभाग के डॉ. प्रताप सिंह, डॉ. मंगत राम, डॉ. भारद्वाज, कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ. देवेन्द्र चहल, डॉ. जसबीर सिंह, डॉ. महासिंह, डॉ. अश्वनी कुमार, डॉ. आवेश, डॉ. आरसी वर्मा, डा. एसपी गोयल मौजूद थे।


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