सेटेलाइट के भरोसे छोड़ दिए फसल के अवशेष, अधिकारी नहीं निकले दफ्तरों से बाहर
फोटो : 21 - सेटेलाइट से आग के केवल 45 मामले ही पकड़ में आए किसान अपने खेत में गेहूं कटाई के बाद फानों में आग न लगा सके इसकी निगरानी के लिए कमेटी बनी। परंतु कमेटी के सदस्य अपने दफ्तरों से बाहर ही नहीं निकले। अधिकारी सेटेलाइट के भरोसे रह गए। सेटेलाइट ने यमुनानगर में आग के कुल 117 मामले पकड़े जिनमें फाने जलाने के 45 मामले हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जिले का शायद ही कोई ऐसा गांव हो जिसमें न्यूनतम तीन से चार एकड़ में खड़े गेहूं के फानों में आग न लगाई गई हो। उनके मुताबिक 1500 एकड़ से ज्यादा में फाने जलाए गए हैं।
फोटो : 21
- सेटेलाइट से आग के केवल 45 मामले ही पकड़ में आए
- विशेषज्ञ बोले, 1500 एकड़ से ज्यादा में फानों में लगाई गई आग
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तीन किसानों पर एफआइआर के लिए लिखा
राजेश कुमार, यमुनानगर
किसान अपने खेत में गेहूं कटाई के बाद फानों में आग न लगा सके इसकी निगरानी के लिए कमेटी बनी। परंतु कमेटी के सदस्य अपने दफ्तरों से बाहर ही नहीं निकले। अधिकारी सेटेलाइट के भरोसे रह गए। सेटेलाइट ने यमुनानगर में आग के कुल 117 मामले पकड़े जिनमें फाने जलाने के 45 मामले हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जिले का शायद ही कोई ऐसा गांव हो जिसमें न्यूनतम तीन से चार एकड़ में खड़े गेहूं के फानों में आग न लगाई गई हो। उनके मुताबिक 1500 एकड़ से ज्यादा में फाने जलाए गए हैं।
117 में से 55 केस गेहूं जलने के
गेहूं की कटाई के बाद किसान अपने खेत में फसल के अवशेष यानि फाने न जला सके इसके लिए प्रदेश सरकार ने सेटेलाइट की मदद ली थी। सेटेलाइट ने कुल 117 केस आग लगने के पकड़े। इनकी जांच की तो पाया कि 55 केस ऐसे हैं जिनमें खेत में खड़ी गेहूं में ही आग लगी थी। यह आग ट्रांसफार्मर से निकली ¨चगारी, तारों के आपस में टकराने या फिर अन्य कारणों से लगी। 17 केस वन क्षेत्र में लगी आग के हैं। शेष बचे 45 में से 20 केस ऐसे हैं जिनकी अधिकारी अभी तक यही पहचान नहीं कर पाए की ये खेत किसके हैं।
रिकॉर्ड पूरा करने के लिए 55 हजार रुपये जुर्माना
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खेत में फाने जलाने वाले 22 किसानों पर 55 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जबकि तीन किसानों पर एफआइआर दर्ज कराने के लिए पुलिस को लिखा है। ये जुर्माना भी इसलिए किया गया है ताकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अपने रिकार्ड को पूरा रख सके। सच्चाई तो ये है कि हर तीसरे-चौथे खेत में गेहूं के फाने जलाए गए। लेकिन अधिकारी मूक दर्शक बनकर देखते रहे। फसल के अवशेष जलने से रोकने के लिए जिलास्तर पर एक कमेटी बनाई गई थी जिसमें कृषि विभाग के डीडीए, डीडीपीओ, तहसीलदार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी व डीएसपी शामिल थे। अधिकारियों ने अपने स्तर पर कितने केस पकड़े इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है।
आम आदमी को सौंप दे जिम्मेदारी : अजय गुप्ता
पर्यावरणविद डॉ. अजय गुप्ता का कहना है फसल के अवशेष खेतों में न जले इसे रोकने की पावर आम आदमी को दे देनी चाहिए। सरकार ऐसी सुविधा प्रदान करे की कोई भी आम आदमी यदि कहीं अवशेष जलता देखे तो वो उसकी फोटो मोबाइल से खींच कर किसी टोल-फ्री नंबर पर भेज सके। फिर उस फोटो की पहचान कर सरकार आगामी कार्रवाई करे। इसका असर तुरंत दिखाई देगा। उनका कहना है कि इसका दूसरा रास्ता भी है। जो किसान फसल के अवशेष जलाता है तो उसे यूरिया नहीं देना चाहिए। जब उसे अपनी फसल के लिए यूरिया ही नहीं मिलेगा तो वो अपने आप ही आग लगाना बंद कर देगा।
फाने जलाते ही चला देते हैं ट्रैक्टर
छप्पर से बिलासपुर रोड, मुस्तफाबाद से रादौर, रादौर से जठलाना, जठलाना से यमुनानगर, जगाधरी से बिलासपुर व बिलासपुर से रणजीपुर, साढौरा, जगाधरी से खिजराबाद रोड पर सैकड़ों खेतों में फसल के अवशेष जलाए गए। आग लगाने के बाद कार्रवाई के डर से वे खेतों में ट्रैक्टर चला देते हैं। ज्यादातर खेतों में रात को आग लगाई गई क्योंकि किसानों को पता है कि रात को अधिकारी सड़क पर दिखाई नहीं देते।
22 किसानों पर जुर्माना किया : आरओ
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रा¨जद्र शर्मा ने बताया कि सेटेलाइट से 117 केस पकड़े थे। इनमें से 12 किसानों पर अवशेष जलाने पर 55 हजार रुपये जुर्माना किया गया है। कृषि विभाग के माध्यम से हमें जो रिकार्ड मिला उसके आधार पर कार्रवाई की। हम किसानों को अवशेष न जलाने के लिए जागरूक करते है।