विदेश मे रहकर भी नहीं छूटा मातृ भाषा हिदी से मोह
अतिथि अध्यापक की नौकरी पर तैनात दीपक कुमार गुंबर ने नौकरी छोड़ दी और अपनी पत्नी आशिमा गुंबर और बेटी राधिका के साथ आस्ट्रेलिया के एडिलेड में चले गए।
संवाद सहयोगी, सीवन: अतिथि अध्यापक की नौकरी पर तैनात दीपक कुमार गुंबर ने नौकरी छोड़ दी और अपनी पत्नी आशिमा गुंबर और बेटी राधिका के साथ आस्ट्रेलिया के एडिलेड में चले गए। वहां जाकर अपना कारोबार करने में व्यस्त हो गए, लेकिन अपनी मातृ भाषा और अपना अध्यापन के कार्य का मोह नहीं छोड़ पाए। दीपक गुंबर ने वहीं पर ही हिदी भाषा की शिक्षा बांटना शुरू कर दिया। खाली समय में अपने बच्चों के साथ आस-पास के बच्चों और लोगों को हिदी भाषा का ज्ञान देना आरंभ कर दिया। दीपक गुंबर वर्ष 2009 की जनवरी में अपने परिवार के साथ भारत से आस्ट्रेलिया चले गए थे। वहां जाने के बाद लड़का वर्णित गुंबर हुआ। दीपक और आशिमा ने अपने पुत्र को भी हिदी का पाठ पढ़ाया जो वहां रहकर आज भी फर्राटेदार हिदी बोलता है। हिदी बोलने से विदेश में भी भारत जैसा अपनापन महसूस होता है।
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हिदी में ही करते हैं बात
दीपक ने बताया कि वहां रहकर अपने आसपास रह रहे भारतीय लोगों से हिदी भाषा में बात करते हैं। अध्यापन के कार्य से उन्हें मोह है। उनके पिता रोशन लाल गुंबर अध्यापक थे। आज भी हिदी का ज्ञान बांटते हुए उन्हें संतोष मिलता है। और तो और उनकी बेटी राधिका स्कूल में बच्चों को हिदी सिखाती है। आस्ट्रेलिया मूल के लोग भी हिदी सीख कर खुश होते हैं और हिदी सीखने के लिए उनके घर आते हैं। अब उन्होंने अपना मकान भी आस्ट्रेलिया में बना लिया है, लेकिन अपने देश के त्योहार, भाषा संस्कृति से उन्हें बहुत लगाव है।