Move to Jagran APP

पहले लोग प्रत्याशियों के लिए करते थे चंदा एकत्रित

देश में आजादी के बाद वर्ष 1957 में पहले चुनाव हुए थे। हरियाणा गठन के बाद वर्ष 1967 में पहला चुनाव हुआ था। उस समय जब चुनाव होते थे और जो प्रत्याशी मैदान में आते थे उनका चुनाव लड़ने के लिए लोग चंदा एकत्रित करते थे

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 09:06 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 09:06 AM (IST)
पहले लोग प्रत्याशियों के लिए करते थे चंदा एकत्रित
पहले लोग प्रत्याशियों के लिए करते थे चंदा एकत्रित

जासं, कैथल : देश में आजादी के बाद वर्ष 1957 में पहले चुनाव हुए थे। हरियाणा गठन के बाद वर्ष 1967 में पहला चुनाव हुआ था। उस समय जब चुनाव होते थे और जो प्रत्याशी मैदान में आते थे उनका चुनाव लड़ने के लिए लोग चंदा एकत्रित करते थे, समाज में जो भी मौजिज व्यक्ति होता और उसकी छवि को देखते हुए चुनाव दंगल में उतारते थे। अब सब कुछ बदल चुका है।

loksabha election banner

नेता के सामने जनता अब प्रजा की भूमिका में याचक की तरह खड़ा रहते हैं। नेता भी राजा की तरह अपने व्यवहार को बदल लेते हैं। यह कहना है रिटायर्ड प्रिसिपल 68 वर्षीय दर्शन मुंजाल का। मुंजाल ने कहा कि कहीं से भी उनमें सामाजिक सरोकार का गुण नहीं रह जाता है। नेताओं में जनता की सेवा का भाव खत्म हो रहा है। जात-पात का भाव अधिक पनप गया है। पहले के चुनाव में नेता लोगों के बीच ही बैठ कर मुद्दों पर आधारित नीति बनाते थे। अब काफी अंतर आया है। राजनीति भी बिजनेस की तरह हो गया है। अब प्रचार के तरीके से लेकर नेताओं की रणनीति बदल चुकी है। पहले गांव के बूथ दूर-दूर तक होते थे। तीन से चार गांव का एक बूथ होता था, क्योंकि मतदाताओं की संख्या उस समय कम होती थी। 15 से 16 हजार वोट लेने वाला विधायक बन जाता था। अब तो लाखों में वोट हैं। कई गांव के मतदाताओं तक तो प्रत्याशी पहुंच भी नहीं पाते हैं। उस समय के नेता प्रचार के दौरान देशभक्ति व समाजहित की बात करते थे, लेकिन आज ऐसा नजर नहीं आता।

-------------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.