फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनों के बारे में किसानों को किया जागरूक
दैनिक जागरण अभियान पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे को लेकर किसान इंद्र सिंह के खेत में किसान जागरूक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में गांव डोहर के किसानों ने भाग लिया।
जागरण संवाददाता, कैथल :
दैनिक जागरण अभियान पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे को लेकर किसान इंद्र सिंह के खेत में किसान जागरूक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में गांव डोहर के किसानों ने भाग लिया।
कृषि उपनिदेशक कर्मचंद ने कैंप में किसानों को फसल प्रबंधन अवशेष मशीनों के बारे में जानकारी दी। कृषि विकास अधिकारी डा. सज्जन ने किसानों को धान के अवशेष जलाने के नुकसानों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि किसान आग लगाकर अपनी ही जमीन को बंजर बना रहे हैं। अब यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। एक दो वर्ष पहले तक किसानों की समस्या थी कि उनके पास पराली में आग लगाने से बचने के विकल्प नहीं है, लेकिन पिछले एक दो वर्ष में हुए शोधों व नए कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर अवशेष जलाने से बचा जा सकता है।
बाक्स-कंबाइन से कटाई के बाद डाले फसल अवशेष में डिकंपोजर
डा. कर्मचंद ने किसानों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि फसल अवशेष जलाने की बजाय वह दो सस्ते समाधान बता रहे हैं। कंबाइन से कटाई के तुरंत बाद किसान इन उपायों को अपनाकर आग लगाने से बच सकते हैं। पहला उपाय 200 लीटर पानी में 20 रुपये में बाजार से मिलने वाली डिकंपोजर, आधा किलो गुड़ व गोमुत्र को डालकर एक सप्ताह तक रखें। एक सप्ताह बाद तैयार इस घोल का एक एकड़ में अवशेष पर छिड़काव करें। इसके अलावा इसी में एक लीटर घोल से आगे भी लिक्वड तैयार कर सकते हैं। दूसरा उपाय एक एकड़ में पानी देकर 15 से 20 किलो यूरिया डाल दें। कुछ ही दिनों में यह अवशेष को खाद में तबदील कर देंगे।
बाक्स- फायदेमंद होगा साबित
किसान सीता राम ने कहा कि इस तरह किसानों के बीच पहुंचकर अधिकारी जागरूक करेंगे और समस्याओं का समाधान बताएंगे तो निश्चित रूप से यह फायदेमंद साबित होगा। वह तो पहले ही अवशेष नहीं जला रहे हैं। अब वह दैनिक जागरण अभियान से जुड़कर किसानों को ऐसा नहीं करने के लिए प्रेरित करेंगे।
बाक्स- किसान गुरविद्र ने कहा वह दैनिक जागरण के प्रयास से बहुत प्रभावित हुआ है। वह डॉक्टर के सुझाए तरीकों पर अमल करते हुए इस बार फसल अवशेष नहीं जलाएगा। ---------------