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अभिभावकों की जेब पर डल रहा डाका

नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है। वे बेझिझक अभिभावकों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। ऊपर से विभाग की सुस्ती उनका हौसला बढ़ा रही है। पहले तो अधिकारी इन स्कूलों की दहलीज लांघने की हिम्मत नहीं करते जब जनता का दबाव पड़ता है तो वे सिर्फ नोटिस देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 09:29 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:32 AM (IST)
अभिभावकों की जेब पर डल रहा डाका

जागरण संवाददाता, कैथल :

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नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है। वे बेझिझक अभिभावकों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। ऊपर से विभाग की सुस्ती उनका हौसला बढ़ा रही है। पहले तो अधिकारी इन स्कूलों की दहलीज लांघने की हिम्मत नहीं करते, जब जनता का दबाव पड़ता है तो वे सिर्फ नोटिस देकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

अप्रैल के पूरे माह में अभिभावकों को किताबों के नाम पर लूट जाता है। इसमें आम लोग ही नहीं, बल्कि प्राइवेट व सरकारी विभागों में काम करने वाले अधिकारी भी इसका शिकार होते हैं। कोई इसलिए चुप है कि पैसे की कमी नहीं है तो कोई इसलिए कि किसी तरह बच्चे का भविष्य संवर जाए। इसी सोच का फायदा प्राइवेट स्कूल व पब्लिशर्स उठा रहे हैं। दैनिक जागरण की टीम ने जब बुक डिपो के बाहर किताबें खरीदकर निकले अभिभावकों से बातचीत की तो बताया कि एलकेजी से लेकर आठवीं तक की किताबें एक हजार से शुरू होकर छह से सात हजार रुपये में बिक रही हैं।

हर साल बदली जाती हैं किताबें

लूट से बचने के लिए अभिभावक बड़े भाई, पड़ोसी व रिश्तेदारों के बच्चों की किताबें लेने लगे, लेकिन स्कूल वालों को ये रास नहीं आया। उन्होंने हर साल किताबें बदलना शुरू कर दिया। तर्क दिया कि हर साल किताबें अपडेट हो रही हैं। अगर बच्चों को अपडेट जानकारियां नहीं दी गई तो वे पिछड़ जाएंगे।

तय कमीशन मिलता है, बेवजह करते हैं बदनाम

बुक डिपो के मालिकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किताबें इतनी महंगी क्यों हैं, इसका जवाब या तो स्कूल संचालक दे सकते हैं या पब्लिशर्स। स्कूल वाले ही ये तय करते हैं कि किस पब्लिशर्स की किताबें लानी हैं। उनका तो बस बीच में एक तय कमीशन हैं और वे इसी पर ही काम करते हैं। बुक डिपो वालों को बेवजह ही बदनाम किया जा रहा है।

विभिन्न नामी गिरामी स्कूलों के ये हैं कक्षा वाइज किताबों के रेट

एलकेजी : 1000 से 1500

प्रथम कक्षा : 1500 से 2700

दूसरी कक्षा : 2500 से 3000

तीसरी कक्षा : 3000 से 4000

चौथी कक्षा : 3500 से 4500

पांचवीं कक्षा : 4000 से 5000

छठी कक्षा : 4500 से 5500

सातवीं कक्षा : 5000 से 6000

आठवीं कक्षा : 5500 से 6500 ---------------

अभिभावक गौतम कुमार ने बताया कि उन्होंने बेटी के लिए प्रथम कक्षा की किताबें खरीदी हैं। पूरा सेट उन्हें 2533 रुपये का दिया गया है, जो काफी महंगा है।

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अभिभावक सुरेश कुमार ने बताया कि उन्होंने एलकेजी कक्षा के लिए सेट खरीदा है जो 1795 रुपये में दिया गया है।

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सरकारी स्कूलों में हरियाणा बोर्ड की किताबें पढ़ाई जा रही हैं, लेकिन सीबीएसई स्कूलों के संबंध में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। समय-समय पर कार्यालय से आदेश भी दिए जाते हैं कि स्कूल किताबों व वर्दी के नाम पर अभिभावकों को परेशान ना करें। किसी अभिभावक को लगता है कि उसके साथ लूट हो रही है तो लिखित में शिकायत दे, फिर जांच कर स्कूल संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- शमशेर सिंह सिरोही, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कैथल।


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