डा. पायल को मिला अंबाला स्टेशन, कैप्टन बेटी को माता-पिता ने किया सैल्यूट
अभी तक डाक्टर बेटी को सफेद एप्रन और स्टेथोस्कोप के साथ ही देखकर मन प्रफुल्लित होता रहता था लेकिन अब सीना और भी चौड़ा हो गया है। कलायत के डा. राजेंद्र छाबड़ा और डा. वीना छाबड़ा की बेटी डा. पायल छाबड़ा ने बीते रोज पहली बार भारतीय सेना में कैप्टन की वर्दी पहनी।
जागरण संवाददाता, कैथल: अभी तक डाक्टर बेटी को सफेद एप्रन और स्टेथोस्कोप के साथ ही देखकर मन प्रफुल्लित होता रहता था, लेकिन अब सीना और भी चौड़ा हो गया है। कलायत के डा. राजेंद्र छाबड़ा और डा. वीना छाबड़ा की बेटी डा. पायल छाबड़ा ने बीते रोज पहली बार भारतीय सेना में कैप्टन की वर्दी पहनी। अपनी गुड़िया को फौज की वर्दी में देख डाक्टर दंपती की आंखों में चमक और गुरूर के साथ खुशी की नमी भी आ गई। मां ने बेटी को सीने से लगा लिया और पिता ने जय हिद जवान कहकर सैल्यूट किया।
²श्य खुशनुमा, मगर भावुक था। डा.राजेंद्र छाबड़ा का कहना है कि यह बेटी की ही ख्वाहिश थी कि वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे। अब वह देश की रक्षा कर रहे जवानों के सेहत-स्वास्थ्य की सुरक्षा करेंगी। डा. पायल छाबड़ा को अंबाला में पहली पोस्टिग मिली है। ज्वाइन करने पहुंची डा. पायल के साथ उनके माता-पिता भी गए थे। उनका कहना है कि उनके लिए यह जीवन का सबसे गौरवान्वित कर देने वाला दिन और समय रहा।
बता दें कि कलायत की बेटी डा. पायल छाबड़ा को भारतीय सेना में कैप्टन की कमान मिली है। भारतीय सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा में ऑल इंडिया रैंकिग में उनका 18वां स्थान आया था। डा. पायल के साथ देशभर से 30 अन्य बेटियों का भी चयन हुआ है। वह सेना में बतौर सर्जन सेवाएं देंगी। पिता डा. राजेंद्र छाबड़ा और माता डा. वीना ने बताया कि बेटी का शुरू से ही भारतीय सेना और मेडिकल क्षेत्र में काम करने का सपना रहा है। पूरा परिवार चूंकि चिकित्सा सेवा में है तो पायल का रुझान भी इसी तरफ था, लेकिन साथ ही उनके मन में सेना की यूनिफार्म पहन देश सेवा का जज्बा भी पलता रहा। भाई और भाभी ने दिखाई मेडिकल सेवा की राह
डा. पायल के बड़े भाई डा. संजीव छाबड़ा और भाभी डा. सलोनी ने उन्हें शिक्षा के साथ-साथ मेडिकल सेवा की राह दिखाई। अभी तक करनाल स्थित राजकीय कल्पना चावला मेडिकल कालेज सर्जरी विभाग में डा. पायल बतौर सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर तैनात रहीं। उनके दादा स्वर्गीय चमन लाल भारतीय रेलवे में अधिकारी रहे हैं। दादा के निधन के बाद माता-पिता के साथ-साथ दादी प्रेमवंती ने उनमें देश सेवा के गुण भरे।