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सिटी स्क्वेयर मामले में डीसी ने मांगा दोषी का नाम

सिटी स्क्वेयर निर्माण मामले में यह तय हो चुका है कि इसके निर्माण कार्य में नियमों की अवहेलना हुई है। जो रिपोर्ट एडीसी ने डीसी को सौंपी थी उसमें यही लिखा गया है कि नियमों के अनुसार काम नहीं किया गया है

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:30 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:30 AM (IST)
सिटी स्क्वेयर मामले में डीसी ने मांगा दोषी का नाम

जागरण संवाददाता, कैथल : सिटी स्क्वेयर निर्माण मामले में यह तय हो चुका है कि इसके निर्माण कार्य में नियमों की अवहेलना हुई है। जो रिपोर्ट एडीसी ने डीसी को सौंपी थी उसमें यही लिखा गया है कि नियमों के अनुसार काम नहीं किया गया है। एडीसी की रिपोर्ट में किसी दोषी अधिकारी का नाम नहीं लिखा गया था। अब डीसी ने रिपोर्ट को वापस एडीसी को भेज दिया है। एडीसी को कहा गया है कि मामले में जो भी दोषी है, उसका नाम लिखकर रिपोर्ट वापस दें ताकि भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकें। पार्षदों ने इस मामले को उठाया था और कार्रवाई के लिए तत्कालीन डीसी धर्मबीर सिंह से मिले थे। डीसी ने जांच के लिए तत्कालीन एडीसी सतबीर सिंह की अध्यक्षता में जांच कमेटी नियुक्त की थी। करीब एक महीने के बाद जांच पूरी हुई थी और रिपोर्ट डीसी को सौंप दी गई थी। मामले की जांच विजिलेंस और सीएम फ्लाइंग की टीम भी अपने स्तर पर कर रही है।

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शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट सिटी स्क्वेयर

सिटी स्क्वेयर की घोषणा सीएम मनोहर लाल ने की थी। करीब 38 करोड़ रुपये की लागत से पुराने बस स्टैंड पर सिटी स्क्वेयर का निर्माण कार्य चल रहा है। करीब 16 करोड़ रुपये इस पर खर्च भी हो चुके हैं। सिटी स्क्वेयर बनने के बाद शहर के सभी बैंकों को यहां शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा एक मल्टी पार्किंग भी बनाई जाएगी, जिससे शहर को जाम की समस्या से निजात मिलेगी। करीब दो साल में कंपनी को इसका निर्माण कार्य पूरा करना है। निर्माण कार्य शुरू होते ही यह विवादों में आ गया था।

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इस तरह से चला घटनाक्रम

सिटी स्क्वेयर का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद पार्षद राकेश सरदाना ने पांच नवंबर 2018 को विभाग के डायरेक्टर को शिकायत भेजी। छह नवंबर को नप चेयरपर्सन व ईओ को मामले की शिकायत दी गई। आठ नवंबर को मामले की शिकायत सीएम विडो में की गई। सभी जगहों पर शिकायतें देने के बाद पार्षदों ने इसी मामले को लेकर नप हाउस की मीटिग बुलाने के लिए पत्र लिखा। 11 जनवरी को हाउस की मीटिग बुलाई गई और पार्षदों ने नप अधिकारियों पर लगाए आरोप साबित किए। मीटिग में पास किए एजेंडों को लागू करने के लिए फाइल को डीसी के पास भेजा गया। डीसी ने जांच के लिए एडीसी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई थी। जांच में देरी हुई तो पार्षदों ने चार दिन तक नप कार्यालय में धरना भी दिया था। भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर ने आश्वासन देकर धरना खत्म करवाया।

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ये थे पार्षदों के मुख्य आरोप

पार्षदों का सबसे बड़ा आरोप था पाइल्स टेस्टिग के नाम पर निर्माण करने वाली कंपनी को एक करोड़ 88 लाख रुपये की राशि नगर परिषद ने दी। जबकि एग्रीमेंट के अनुसार यह राशि कंपनी को वहन करनी थी। पार्षदों का दूसरा आरोप था सिटी स्क्वेयर का वर्क आर्डर बाद में दिया गया और काम पहले ही बिना किसी अनुमति के शुरू कर दिया गया। हालांकि नप हाउस की मीटिग में ईओ ने कंपनी के खाते से एक करोड़ 88 लाख रुपये की राशि वापस काट ली थी।

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डीसी डॉ. प्रियंका सोनी ने बताया कि सिटी स्क्वेयर निर्माण मामले में नियमों की अवहेलना हुई है। रिपोर्ट के अनुसार नियमों के अनुसार काम नहीं किया गया है। जो जांच रिपोर्ट उन्हें सौंपी गई थी उसमें दोषी अधिकारी का नाम नहीं लिखा हुआ था। अब दोषी अधिकारी का नाम लिखने के लिए दोबारा से एडीसी के पास रिपोर्ट भेज दी गई है। --------


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