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अब विलुप्त नहीं होगी सांस्कृतिक धरोहरें

संवाद सहयोगी, कलायत: सांस्कृतिक विरासत की समुचित देखरेख के लिए भाजपा प्रांतीय उपाध्यक्ष धर्मपाल

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 12:38 AM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 12:38 AM (IST)
अब विलुप्त नहीं होगी सांस्कृतिक धरोहरें
अब विलुप्त नहीं होगी सांस्कृतिक धरोहरें

संवाद सहयोगी, कलायत: सांस्कृतिक विरासत की समुचित देखरेख के लिए भाजपा प्रांतीय उपाध्यक्ष धर्मपाल शर्मा के सुझाव पर सरकार ने कुरुभूमि तीर्थ जीर्णोद्धार समिति का गठन किया गया है। समिति का लक्ष्य सरकार और प्रशासन के बीच कड़ी का काम करते हुए धरोहरों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देना रहेगा।

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पीएम मिशन 2019 प्रांतीय मीडिया प्रभारी रवींद्र धीमान ने बताया कि कलायत क्षेत्र में इतिहास से जुड़े सात तीर्थ स्थल है। केंद्र एवं राज्य सरकार ने इनके कायाकल्प के लिए ठोस कार्ययोजना तय की है। इसके तहत समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया। राधेश्याम नंबरदार को समिति प्रधान की जिम्मेदारी सौंपी गई है। समिति का जल्द विस्तार किया जाएगा। इसमें संबंधित धरोहरों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उन्हें समिति में शामिल किया जाएगा।

इस संदर्भ में बुधवार को आयोजित बैठक में शिरकत कर रहे नगर सौहार्द समिति अध्यक्ष मैनपाल राणा, राधेश्याम भट्ट, बिट्टू कांसल, पार्षद राजेश जैष्ट, मुढ़ाढ़ गौशाला कोषाध्यक्ष हरिश गर्ग, आनंद भट्ट और दूसरे लोगों ने कहा कि धरोहर राष्ट्र की शान का प्रतीक है। भारतीय सभ्यता से जुड़े प्राचीन पहलुओं को आमजन के समक्ष ये दर्पण की तरह प्रस्तुत करती है। अतीत के इन झरोखों को विलुप्त होने से बचाने के लिए सांझे प्रयास जरूरी है।

बैठक की अगुवाई कर रहे राधेश्याम भट्ट ने कहा कि धरोहरों के साथ लोगों को सीधा जोड़ने के लिए रोड मैप तैयार किया जा रहा है। इसके अंतर्गत तमाम तीर्थाें पर इलाके के सभी सात स्थलों के छायाचित्रों के साथ मानचित्र चस्पा किए जाएंगे ताकि पर्यटकों को धरोहरों पर पहुंचने के लिए किसी प्रकार की दुविधा का सामना न करना पड़े।

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द्वापरयुग की गवाह है देवभूमि:

भाजपा प्रांतीय उपाध्यक्ष धर्मपाल शर्मा ने कहा कि महाभारत काल के साथ कलायत क्षेत्र का अटूट ताल्लुक रहा है। आज भी द्वापरयुग से जुड़े दुर्लभ स्थल इलाके में मौजूद है। प्राचीन धरोहर न केवल संपूर्ण क्षेत्र को एकता के सूत्र में पिरोती है, बल्कि देश के गौरवशाली इतिहास से जन-जन को रूबरू रखती है। दृष्टावति और सरस्वती जैसी नदियां देवभूमि कलायत की गोद में बही है।


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