गायों को अपाहिज करना भी गोवध की श्रेणी में
जागरण संवाददाता, कैथल : सड़कों पर बेसहारा घूमते गोवंश के चलते रोजाना हादसों का सबब अ
जागरण संवाददाता, कैथल : सड़कों पर बेसहारा घूमते गोवंश के चलते रोजाना हादसों का सबब और शिकार बनने के मामलों पर रोक लगाने के लिए पुलिस अपनी भूमिका नहीं निभा पा रही है। कानून का ज्ञान नहीं होने के कारण पुलिस कर्मचारी इसे हल्के में ले रहे हैं। इसके चलते पिछले एक साल में पुलिस ने गाय की तस्करी में प्रयुक्त दो गाड़ियों को उनके मालिकों को सौंप दिया, जबकि हरियाणा गोवंश संरक्षण तथा गोसंवर्धन एक्ट-2015 के तहत इन गाड़ियों की खुली नीलामी की जानी थी।
बुधवार को हरियाणा गोसेवा आयोग के चेयरमैन भानी राम मंगला के साथ पहुंची गो संरक्षण टास्क फोर्स की इंचार्ज डीआइजी भारती अरोड़ा ने बताया कि कैथल में पिछले वर्ष गोतस्करी के छह मुकदमे दर्ज करके 45 पशु मुक्त कराए गए तथा 11 दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इनमें दो गाड़ियों को संबंधित पुलिस अधिकारियों ने एक्ट का ज्ञान नहीं होने के कारण सुपुर्ददारी पर छोड़ दिया था। इन्हें फिर से वापस लाकर इनकी नीलामी कराई जाएगी।
उन्होंने गोवंश संरक्षण एक्ट के बारे में पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब तक खुद अधिनियम के बारे में जानकारी नहीं होगी, इसे लागू करना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ गाय की हत्या करना ही गोवध में नहीं आता है। उसे इस हद तक अपाहिज करना कि उसकी मौत हो जाए, यह भी गोवध की श्रेणी में आता।
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100 में से बची 36 नस्लें
डीआइजी अरोड़ा ने कहा कि गायों की नस्लों को बचाने के लिए प्रशासन और पुलिस को विशेष प्रयास करने होंगे। प्रदेश में गाय की 100 नस्लें थीं, जबकि अब केवल 36 ही बची हैं। भारत में बीफ 50 रुपये किलो कीमत पर लेकर विदेशों में तस्करी करके 300 से 500 रुपये किलो तक बिकता है। हर वर्ष देश में 50 से 60 लाख गाय बाहर जाती हैं तथा 15 हजार करोड़ का टर्न ओवर होता है। मरे हुए जानवरों की चर्बी से घी बनाने के मामले भी प्रकाश में आए हैं। इस चर्बी से बने घी के उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि गायों की वाहनों के द्वारा तस्करी होने के साथ-साथ पैदल मार्ग के रास्तों से भी तस्करी होती है। पुलिस अधिकारियों को पैदल मार्ग की तस्करी पर भी विशेष ध्यान देना होगा।