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27 सालों से मजदूरों के हकों की लड़ाई लड़ रहे कामरेड प्रेमचंद

पिछले 27 सालों से कामरेड प्रेमचंद सैनी गरीब मजदूर एवं जरूरतमंदों के जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वह खेतीहर बंधवा मजदूरों को मुक्त करवाने का कार्य हो या फिर भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों को उनके हक दिलवाने में लगे हुए हैं। संघर्ष के इस रास्ते पर चलते हुए वे पुलिस की लाठियां खाने के साथ जेल भी काट चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 08:50 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:50 AM (IST)
27 सालों से मजदूरों के हकों की लड़ाई लड़ रहे कामरेड प्रेमचंद

जागरण संवाददाता, कैथल : पिछले 27 सालों से कामरेड प्रेमचंद सैनी गरीब, मजदूर एवं जरूरतमंदों के जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वह खेतीहर बंधवा मजदूरों को मुक्त करवाने का कार्य हो या फिर भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों को उनके हक दिलवाने में लगे हुए हैं। संघर्ष के इस रास्ते पर चलते हुए वे पुलिस की लाठियां खाने के साथ जेल भी काट चुके हैं। प्रेमचंद बताते हैं कि वर्ष 1987 में वह एक फाउंडरी उद्योग में बतौर मिस्त्री का काम करते थे यहां वर्ष 1993 तक काम किया। कुछ समय के लिए रेहड़ी लगाकर चाय भी बेची, लेकिन वर्ष 1994 के बाद श्रमिकों की सेवा के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी। इस दौरान फाउंडरी यूनियन व हरियाणा अनाज मंडी मजदूर यूनियन का भी गठन किया। इसके अलावा भट्ठा मजदूर यूनियन, युवा संगठन डीवाइइएफआइ संगठन, गरीब मजदूर, राइस मिल मजदूर, आरा मिल मजदूर, खेतीहर मजदूर आदि संगठनों का निर्माण कर मजदूरों को उनका हक दिलवाने के लिए लड़ाई लड़ी। बॉक्स :

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प्रेमचंद ने बताया कि गरीब व बेहसारा लोगों के साथ जहां भी अन्याय होता है वह उसकी मदद के लिए निकल पड़ते हैं। शहर में शक्ति नगर हो या फिर देवीगढ़ को जाने वाले रास्ते पर अवैध शराब का खुर्दा खोले जाने को लेकर संघर्ष करते हुए इसे बंद करवाया। इसके साथ बीपीएल वर्ग के लोगों के राशन वितरण प्रणाली को लेकर लड़ाई लड़ी। जिन गरीब लोगों के सिर पर छत नहीं थी उन्हें इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत मकान दिलवाने का काम किया। वहीं भट्ठा

मजदूरों को वेतन दिलवाने सहित भट्ठों पर शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं के लिए लड़ाई लड़ी। बताया कि जिले में करीब एक लाख मजदूर परिवार हैं। इनमें ज्यादातर खेतीहर व भवन निर्माण मजदूर हैं। इन मजदूरों को सुविधा के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिल रही है। भवन निर्माण मजदूरों का रजिस्ट्रेशन तक नहीं किया जा रहा है। जबकि भवन निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए करोड़ों रुपये श्रमिक कल्याण कोष में जमा है। पंजीकरण के अभाव में मजदूरों को यह सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। --------------


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