सिटी स्क्वेयर मामले में जांच के लिए बनाई गई तीन सदस्यों की कमेटी
सिटी स्क्वेयर निर्माण कार्य में सिटी स्क्वेयर निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद अब प्रशासन ने कमर कस ली है। नगर परिषद में हुई आपात हाउस की बैठक में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई व निर्माण कार्य बंद कराने का प्रस्ताव पारित किया गया था। सोमवार को डीसी धर्मवीर ¨सह ने नगर परिषद अधिकारियों की बैठक ली। इसमें अधिकारियों से सिटी स्क्वेयर निर्माण कार्य को लेकर जानकारी हासिल की। इस मामले की उचित जांच के लिए एडीसी सतबीर ¨सह की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की कमेटी बना दी गई है। कमेटी में एडीसी, हुडा विभाग के एक्सइएन व समग्र शिक्षा अभियान के लेखाकार अधिकारी को शामिल किया गया है। अधिकारी मामले की जानकारी जुटाने में लग गए हैं। अगर जांच में कोई अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
जागरण संवाददाता, कैथल : सिटी स्क्वेयर निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद अब प्रशासन ने कमर कस ली है। नगर परिषद में हुई आपात हाउस की बैठक में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई व निर्माण कार्य बंद कराने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
सोमवार को डीसी धर्मवीर ¨सह ने नगर परिषद अधिकारियों की बैठक ली। इसमें अधिकारियों से सिटी स्क्वेयर निर्माण कार्य को लेकर जानकारी हासिल की। इस मामले की उचित जांच के लिए एडीसी सतबीर ¨सह की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की कमेटी बना दी गई है। कमेटी में एडीसी, हुडा विभाग के एक्सइएन व समग्र शिक्षा अभियान के लेखाकार अधिकारी को शामिल किया गया है। अधिकारी मामले की जानकारी जुटाने में लग गए हैं। अगर जांच में कोई अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
पार्षदों ने जिला प्रशासन को मामले की जांच व कार्रवाई करने के लिए 20 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया हुआ है। अगर 20 जनवरी तक जांच नहीं हुई तो 21 जनवरी से पार्षद धरना शुरू कर देंगे।
पार्षद और कंपनी के मालिक
जा सकते हैं कोर्ट
इस मामले में पार्षद उचित कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं कंपनी के मालिक का कहना है कि अगर जबरदस्ती काम बंद करवाया गया तो वे कोर्ट का सहारा लेंगे। सरकार के आदेशों पर काम शुरू किया गया था और सरकार के आदेशों के बाद ही बंद किया जा सकता है। पार्षदों ने कहा है कि अगर वे जांच से संतुष्ट नहीं हुए तो वे भी कोर्ट में जा सकते हैं। मामला भ्रष्टाचार का है और दोनों ही पक्ष कोर्ट का सहारा ले सकते हैं। पार्षद मामले में उचित कार्रवाई होने तक सिटी स्क्वेयर का निर्माण कार्य बंद करवाना चाहते हैं।
38 करोड़ से होना सिटी
स्क्वेयर का निर्माण
शहर के सबसे बड़े प्रोजेक्ट सिटी स्क्वेयर का निर्माण कार्य 38 करोड़ रुपये में होना है। निर्माण कार्य शुरू होते ही यह विवादों में आ गया है। पार्षद ने नगर परिषद अधिकारियों पर निर्माण करने वाली कंपनी को गलत पेमेंट देने के आरोप लगाए थे। मामले में 15 पार्षदों ने एकमत होकर आपात हाउस की बैठक बुलाने के लिए पत्र लिखा था। 11 जनवरी को मी¨टग बुलाई गई और पार्षदों ने मामले को लेकर पर्दाफाश किया। नप अधिकारी इस मामले में पार्षद के पूछे गए सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे पाए थे।
मामले में जांच शुरू
एडीसी सतबीर ¨सह ने बताया कि सिटी स्क्वेयर मामले में जांच शुरू कर दी गई है। जांच में अगर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।