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कृषि यंत्र अपनाकर फसल अवशेष प्रबंधन कर रहे किसान

कृषि यंत्र से किसान फसल अवशेष प्रबंधन कर रहे है। किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जा रहे है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 07:41 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 07:41 AM (IST)
कृषि यंत्र अपनाकर फसल अवशेष प्रबंधन कर रहे किसान
कृषि यंत्र अपनाकर फसल अवशेष प्रबंधन कर रहे किसान

जागरण संवाददाता, कैथल: कृषि यंत्र से किसान फसल अवशेष प्रबंधन कर रहे है। किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जा रहे है। इनका फायदा उठाकर किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन करना शुरू किया है। किसान अब अवशेषों को जलाने की जगह खेत में मिट्टी में दबा रहे है। इससे उनकी जमीन की उर्वरता शक्ति बढ़ रही है। प्रदूषण होने से बच रहा है। किसानों का कहना है कि अवशेष जलाने से जमीन खराब होना शुरू हो गई थी। फसल लागत के हिसाब से नहीं हो रही थी। पानी की खपत ज्यादा हो रही है।

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अवशेष नहीं जलाने पर जमीन में आया सुधार

किसान बलजिद्र ने बताया कि फसल अवशेष सात सालों से नहीं जलाते हैं। इससे उनकी जमीन में सुधार आया है। जमीन कम पेस्टीसाइड में अच्छी पैदावार दे रही है। उनका कहना है कि फसल अवशेष जलाने से जमीन ने पैदावार कम देना शुरू कर दिया था। पानी की खपत ज्यादा हो रही थी। अब पानी भी जमीन कम मांगती है। मिट्टी में सुधार आया है।

अच्छी आमदनी कमा सकते है फसल अवशेषों से-

किसान जगदीप पिछले दो साल से कृषि यंत्रों द्वारा अच्छी कमाई कर रहे है। फसल अवशेष की पहले गांठें बनाते हैं। उसके बाद उसे मंडियों में बेचकर आते हैं। इससे खेत की मिट्टी में काफी सुधार आया है। खेत की मिट्टी अब कम पानी पी रही है।

बीमारियां कम लगती है फसलों में

किसान राजेंद्र ने बताया कि जब से फसल अवशेष प्रबंधन करना शुरू किया है तभी से बीमारियां कम फैल रही है। गेहूं का कम गिरने का खतरा रहता है। मशीनों के द्वारा बीजाई अच्छे ढंग से हो रही है। बिजाई का खर्च कम हो रहा है। इससे पहले बिजाई का खर्च ज्यादा होता था। पहले खेत की जुताई करनी पड़ती थी। उसके बाद फिर हाथों से गेहूं बिजाई किसान करता था। मेहनत ज्यादा होती थी फसल अवशेष में बिजाई करने से मेहनत कम हो रही है।


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