फसल अवशेष प्रबंधन से खेत में होती पानी की खपत कम
फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर मुख्य वैज्ञानिक केंद्र में कृषि मेले का आयोजन किया गया। मुख्यातिथि के रूप में चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. समर सिंह ने शिरकत की। इसका संचालन मुख्य वैज्ञानिक रमेश चंद्र वर्मा ने किया।
जागरण संवाददाता, कैथल: फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर मुख्य वैज्ञानिक केंद्र में कृषि मेले का आयोजन किया गया। मुख्यातिथि के रूप में चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. समर सिंह ने शिरकत की। इसका संचालन मुख्य वैज्ञानिक रमेश चंद्र वर्मा ने किया। कुलपति समर सिंह द्वारा प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया।
कृषि मेले में किसानों की नवीनतम खेती करने के तरीके बताएं गए। कुलपति ने कहा कि आज के युग में प्रदूषण को बचाने के लिए फसल अवशेष का प्रबंधन करना होगा। किसानों को अवशेष जलाने की जगह फसल अवशेष प्रबंधन करना जरूरी है। इससे जमीन की उर्वरता शक्ति कमजोरी नहीं होती है। पानी की खपत खेत में कम होती है। यूरिया खाद डालने की किसानों को जरूरत नहीं पड़ती है। बीज को अंकुरण करने के बाद ही उसकी बिजाई करनी चाहिए। इससे फसल एक अच्छी तैयार होती है। उन्होंने कहा कि अपनी आय को बढ़ाने के लिए संयुक्त कृषि प्रणाली अपनाएं। कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए हर गांव पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाएं हुए है। भारतीय गेहूं व जो अनुसंधान केंद्र से विशेष रूप से डा अनिल सिप्पल ने कहा कि धान की किसानों को सीधी बिजाई करनी चाहिए, गेहूं की हैप्पी सीडर, जीरो डिलेज मशीन के बारे में विस्तार से बताया। गेहूं की किस्मों में डीबीडब्ल्यू187 व डीबीडब्ल्यू 222 किस्म के बीज की बिजाई करें। कृषि विकास अधिकारी सज्जन सिंह ने कृषि यंत्रों के बारे में विस्तार से बताया। वैज्ञानिक डा. जसबीर उपस्थित रहे। हैड्रोफिनिस एक ऐसी तकनीक है। इस तकनीक के माध्यम से कोई भी सब्जी व छोटे फलों की हमारा पानी 10 प्रतिशत ही बचा है। इसमें जितनी भी फसल को अनुपात चाहिए। सभी उसके अंदर मिला देते हैं। ये तकनीक कई भी लगा सकते हैं। इस मौके पर किसान गुरदयाल सिह, किसान महेंद्र रसीना, किसान अंग्रेज गुराया, किसान राजेश सिकंदर खेड़ी उपस्थित रहे।