प्राचीन श्री कपिल मुनि धाम सरोवर की परिक्रमा का बड़ा हिस्सा धंसा
श्री कपिल मुनि धाम सरोवर की परिक्रमा का बड़ा हिस्सा विभिन्न स्थानों से धंस गया है। सरोवर की दीवारों में जिस प्रकार गहरी दरारें आई हैं दीवारों के साथ-साथ अन्य निर्माण भी धंस गए हैं।
संवाद सहयोगी, कलायत : श्री कपिल मुनि धाम सरोवर की परिक्रमा का बड़ा हिस्सा विभिन्न स्थानों से धंस गया है। सरोवर की दीवारों में जिस प्रकार गहरी दरारें आई हैं, दीवारों के साथ-साथ अन्य निर्माण भी धंस गए हैं। सामाजिक संगठनों और श्रद्धालुओं का कहना है कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और भारतीय पुरातत्व विभाग को धरोहर के संरक्षण का जिम्मा सौंपा गया है। इसके बाद भी श्री कपिल मुनि तट के इर्द-गिर्द अव्यवस्था का आलम है। संबंधित विभागों द्वारा समुचित देखरेख न करने से धरोहर की परिक्रमा और श्मशान भूमि के पास स्थित परिसर बदहाली का शिकार है। इन परिस्थितियों में धरोहर की सुंदरता पर अधिकारियों की बेरुखी के कारण ग्रहण लगा है। श्री कपिल मुनि सरोवर के प्रति कहीं न कहीं संबंधित विभाग लापरवाही का परिचय दे रहे हैं। इससे श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है। मंदिर के पुजारी शास्त्री संजय गौतम और कृष्ण गौतम ने बताया कि करीब पांच दशक पहले भी श्मशान भूमि के पास नदी पुल के अवशेष विद्यमान थे। पुल का निर्माण बाबा भारती द्वारा जन सहयोग से करवाया गया था, ताकि लोगों के आवागमन में किसी तरह की दुविधा न हो। सरस्वती और दृष्टवति के बीच के क्षेत्र को ही महाभारत का इलाका माना जाता रहा है।
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श्री कपिल मुनि धाम का बड़ा धार्मिक महत्व
सरस्वती नदी की अलग-अलग चार शाखाएं रही हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में बहती रही हैं। ²ष्टवति इनमें से ही एक है। इसका संबंध राजस्थान के अजमेर के पास स्थित पुष्कर झील से है। ²ष्टवति नदी तट पर ही अधिकांश आश्रम स्थापित थे। यहीं ऋषिमुनियों ने ऋग्वेद की रचना की थी।