70 हजार स्कूली विद्यार्थियों को वर्दी के पैसों का इंतजार
जिला के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 70 हजार विद्यार्थी और उनके अभिभावकों को वर्दी के पैसे मिलने का बेसब्री से इंतजार है। इनमें पहली से पांचवीं के 43 हजार 408 तथा छठी से आठवीं कक्षा के 30 हजार 441 विद्यार्थी शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : जिला के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 70 हजार विद्यार्थी और उनके अभिभावकों को वर्दी के पैसे मिलने का बेसब्री से इंतजार है। इनमें पहली से पांचवीं के 43 हजार 408 तथा छठी से आठवीं कक्षा के 30 हजार 441 विद्यार्थी शामिल हैं। खास बात ये है कि स्कूलों का नया सत्र शुरू हुए सात महीने बीत चुके हैं, लेकिन वर्दी के लिए एक रुपया नहीं मिला है। अभिभावक कभी स्कूल मुखिया के पास तो कभी बैंक में जाकर पैसे आए या नहीं यह जानने के लिए भटकते रहते हैं।
स्कूल मुखिया का अभिभावकों से कहना है कि वे डिमांड भेज चुके हैं। पैसा आनलाइन कब आएगा ये तो अधिकारी ही बता सकते हैं। गर्मी में तो विद्यार्थियों ने पिछले साल की फटी वर्दियां डालकर काम चला लिया था, लेकिन अब सर्दियां काटना विद्यार्थियों के लिए मुश्किल हो रहा है। कुछ अभिभावकों का यह भी कहना है कि अब तक छात्रवृत्ति का भी एक रुपया नहीं मिला है।
बॉक्स
ठंड के कारण 20 से 25 प्रतिशत विद्यार्थियों की बढ़ी मुश्किल
70 हजार में से 20 से 25 प्रतिशत परिवार तो ऐसे हैं जो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से कर रहे हैं। ऐसे में इन परिवारों के बच्चे पिछले साल की पुरानी कटी फटी वर्दी ही डालकर स्कूल पहुंच रहे हैं। वहीं बाकी परिवार जिनके आर्थिक हालात ठीक हैं ने बच्चों के लिए वर्दियां खरीद ली हैं, लेकिन गरीब परिवारों के छोटे छोटे बच्चे इन पैसों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
बॉक्स
गांव मलिकपुर के बलजीत ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं और वह मजदूरी का कार्य करता है। वह अनुसूचित जाति से संबंध रखता है। वर्दी का पैसा तो दूर किसी भी बच्चे का पिछले सात महीने से एक रुपया नहीं मिला है। कभी स्कूल मुखिया तो कभी बैंक अधिकारियों से इस बारे में पूछते हैं तो सिर्फ निराशा ही मिलती है। किसी तरह एक एक रुपया जोड़कर बच्चों के लिए वर्दी का इंतजाम किया है। अब सर्दी आ रही है तो जर्सी खरीदनी पड़ेगी।
बॉक्स, पैसों के लिए घूमते रहते विद्यार्थी
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य सचिव व मलिकपुर के माध्यमिक स्कूल के इंचार्ज सतबीर गोयत ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं चलता है कि कब पैसे आए और कब नहीं। इतना जरूर है जब से आनलाइन हुआ है आधे विद्यार्थी तो ऐसे होते हैं जो बैंक की कॉपी लिए घूमते रहते हैं कि उनके पैसे नहीं आए हैं।
बॉक्स : डिमांड भेजी जा चुकी
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी शमशेर ¨सह सिरोही ने बताया कि डिमांड बहुत पहले भेजी जा चुकी है। पैसे देने के प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सभी बच्चों के पैसे खातों में आ जाएंगे। -------------