पराली जलाई तो खरीदनी पड़ेगी ऑक्सीजन
रामगढ़ गांव में दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे अभियान के तहत कृषि विभाग के साथ चौपाल का आयोजन किया।
जागरण संवाददाता, जींद : रामगढ़ गांव में दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे अभियान के तहत कृषि विभाग के साथ चौपाल का आयोजन किया। कृषि विभाग की तरफ से सहायक तकनीकी प्रबंधक अनिल वर्मा और सुमन देवी ने किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया और पराली ना जलाने की शपथ दिलाई। इस दौरान उन्होंने बताया कि पराली जलाने के कारण खेत की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। इस कारण नए पौधे आग के कारण नष्ट हो जाते हैं। जो किसान के आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकते थे। दूसरी तरफ किसान ऐसा करके अपने लिए तथा समाज के लिए एक व्यापक समस्या सामने खड़ी कर रहे हैं। इसको आगे चल कर के गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, क्योंकि एक व्यक्ति अपना घर खर्च आराम से चला सकता है। परंतु यदि उसे भविष्य में ऑक्सीजन भी खरीदनी पड़ी, तो वो मात्र अपनी एक एकड़ की आय से तीन या चार दिन का ऑक्सीजन खरीद सकता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पौधे हमारे को सीधे रूप से करोड़ों रुपये की ऑक्सीजन देते हैं। अनिल वर्मा ने किसानों को नए पौधे उगाने के साथ-साथ फसल चक्र अपनाने की सलाह दी। जिससे आने वाले समय में धान की कम खरीद को देखते हुए किसानों को दलहन तथा तिलहन पर भी जोर देना चाहिए। इस समय इन फसलों के समर्थन मूल्य अच्छे भी हैं और ये फसलें भारत को दूसरे देशों से आयात करनी पड़ती हैं। इन फसलों पर लागत भी कम है और सिचाई का खर्च भी ज्यादा नहीं है। आगे चल कर के विश्व के सामने जल एवं पर्यावरण ही दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जिनको लेकर विश्व स्तर पर भी चर्चा होने लगी है। किसानों की भी भागीदारी इसमें बहुत जरूरी है। किसान धर्मसिंह ने बताया कि उसने पांच साल से पराली नहीं जलाई है। लेकिन फसल के लिए जुताई करने में बहुत ज्यादा खर्च आता है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। सब्सिडी देकर कम रेट पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएं। किसान केवल सिंह ने बताया कि फसल बुआई के लिए हमारे पास समय बहुत कम होता है। दूसरी तरफ इस बार फसल बेचने के लिए मंडी में कई-कई दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। कोई किसान पराली जलाकर खुश नहीं है। मजबूरन कुछ किसानों को इस तरह के कदम उठाने पड़ते हैं। बिल्लू सैनी ने बताया कि युवा संगठन में रहते हुए युवाओं द्वारा गांव में पर्यावरण के प्रति जागरूकता शिविर लगाए गए थे। दैनिक जागरण की इस मुहिम के सार्थक परिणाम निकल रहे हैं। प्रत्येक दिन अखबार पढ़ते हैं, जिससे उनको प्रेरणा मिली है। भविष्य में प्रशासन को भी इस तरह के कैंप लगाने चाहिए। वीरेंद्र ने बताया कि आज की चौपाल से ही मुझे पराली जलाने से होने वाले भयंकर परिणामों का अहसास हुआ है। वे स्वयं तो जागृत हुए हैं, अब दूसरों को भी इस बारे में जागृत करेंगे। सरकार को चाहिए कि सोशल मीडिया पर भी ज्यादा से ज्यादा इसका प्रचार-प्रसार करे। क्योंकि युवा किसान सोशल मीडियो से ज्यादा जुड़े हैं।