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हाथ में एक रुपया नहीं होता था, अब हर माह कमाती हैं 7 हजार रुपये

गांव बीबीपुर की रीना सुरेश सीमा राधा बंटी संतोष। पहले इनके हाथ में एक रुपया भी नहीं होता था। दस रुपये की चीज खरीदने के लिए भी पति से पैसे मांगने पड़ते थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 10:00 AM (IST)
हाथ में एक रुपया नहीं होता था, अब हर माह कमाती हैं 7 हजार रुपये

जागरण संवाददाता, जींद:

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गांव बीबीपुर की रीना, सुरेश, सीमा, राधा, बंटी, संतोष। पहले इनके हाथ में एक रुपया भी नहीं होता था। दस रुपये की चीज खरीदने के लिए भी पति से पैसे मांगने पड़ते थे। अब ये महिलाएं बाइक के बैग और सीट कवर बनाकर हर महीने सात हजार रुपये कमाती हैं। इनके सामान की डिमांड जींद शहर से बढ़कर पूरे जिले और आसपास के शहरों में बढ़ गई है।

दरअसल, सरकार की ओर से सामुदायिक निवेश निधि के तहत गांवों की महिलाओं को अपना काम-धंधा शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाता है। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रभारी सुनील कुमार ने महिला रीना को प्रेरित किया। उसके पति जींद में बैगों की सिलाई का काम करते थे। प्रति बैग कमीशन मिलता था, जिससे आमदनी बहुत कम थी। रीना ने पहले अपने पति से सिलाई सीखी। फिर गांव की 6 अन्य महिलाओं को भी सिलाई सिखाई। इन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाया। फिर ग्राम संगठन से जुड़कर सामुदायिक निवेश निधि से एक लाख रुपये की मदद ली। फिर दो लाख रुपये की मदद ली। यह राशि किस्तों में वापस की। इस राशि से उनका काम चल निकला। अब रीना व छह अन्य महिलाएं अपने घर में बैग व सीट कवर बनाने का काम करती हैं, जबकि रीना के पति सुरेश जिलेभर में सामान की डिलीवरी करते हैं। बैग व सीट कवर बनाने के लिए सामान दिल्ली से खरीदकर लाते हैं। सुनील कुमार बताते हैं कि हर महिला को कम से कम महीने में 6 से 7 हजार रुपये आमदनी हो रही है। धीरे-धीरे आमदनी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जबकि पहले इन महिलाओं के पास एक रुपया भी नहीं होता था।


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