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जींद उपचुनाव: 32 साल के भाजपाइयों पर भारी पड़े कृष्ण मिड्ढ़ा के दो महीने

दो महीने पहले इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कृष्‍ण मिड्ढ़ा जींद उपचुनाव में टिकट की दौड़ में भारी पड़े। वह इस रेस में 32 साल से पार्टी के लिए सक्रिय भाजपा नेताओं पर भारी पड़े।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 10:59 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 09:01 PM (IST)
जींद उपचुनाव: 32 साल के भाजपाइयों पर भारी पड़े कृष्ण मिड्ढ़ा के दो महीने
जींद उपचुनाव: 32 साल के भाजपाइयों पर भारी पड़े कृष्ण मिड्ढ़ा के दो महीने

जींद, [कर्मपाल गिल]। जाटलैंड जींद के उपचुनाव में भाजपा ने पंजाबी कार्ड खेला है। यहां से भाजपा की टिकट के रेस में दो माह पहले पार्टी में शामिल हुए कृष्‍ण मिड्ढ़ा 32 साल से भाजपाइयों पर भारी पड़े। कृष्‍ण मिड्ढ़ा करीब दो महीने पहले इनेलो छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। टिकट की दौड़ में पिछड़े 32 वर्षों से भाजपा के लिए जुटे रहे नेताओं का दर्ज भी बाहर आ गया है। अब कुछ दबी जुबान से तो कुछ खुलकर पार्टी के इस कदम के विरोध में आ गए हैं।    

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भाजपा ने खेला पंजाबी कार्ड, कृष्ण मिढ़ा को टिकट देने का जवाहर सैनी ने किया विरोध

भाजपा प्रत्‍याशी के नाम की घोषणा होते ही टिकट के दावेदार सुरेंद्र बरवाला, राजेश गोयल और मास्टर गोगल और उनके समर्थकों के चेहरों पर मायूसी छा गई। भाजपा के प्रदेश सचिव जवाहर सैनी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर खुली नाराजगी भी जता दी। उन्होंने अपने फोटो के साथ लिखा कि वह 32 साल से पार्टी की सेवा कर रहे हैं, लेकिन दो महीने उन पर भारी पड़ गए। मेरा क्या कसूर?

जवाहर सैनी की पत्नी पूनम सैनी नगर परिषद की प्रदेश सचिव हैं। उनके खुद मुख्यमंत्री मनोहरलाल और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला से अच्छे संबंध हैं। माना जा रहा है कि उम्मीदवार के चयन में मुख्यमंत्री मनोहरलाल का फैसला आखिरी रहा। मुख्यमंत्री मनोहरलाल की पहले दिन से मिढ़ा ही पसंद थे, लेकिन संघ के कुछ नेता राजेश गोयल की पैरवी कर रहे थे।

मोदी लहर में भी जीते थे डॉ. हरिचंद मिड्ढ़ा

भाजपा प्रत्याशी कृष्ण मिढ़ा के पिता डॉ. हरिचंद मिड्ढ़ा वर्ष 2009 में इनेलो की टिकट पर कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता को हराकर पहली बार विधायक बने थे। तब चौटाला ने पंजाबी और जाट का समीकरण बनाया था, जो हिट रहा। इसके बाद 2014 के चुनाव में डॉ. मिड्ढ़ा ने मोदी लहर में भी भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र बरवाला को हराकर जीत हासिल की।

पिछले साल 26 अगस्त को डॉ. हरिचंद मिड्ढ़ा का निधन हो गया था। उनके अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री मनोहरलाल भी अपनी कैबिनेट के कई मंत्रियों के साथ शामिल हुए थे। उसी दिन से कृष्ण मिड्ढ़ा के भाजपा में जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थी। सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर ने मिड्ढ़ा को भाजपा में लाने की पटकथा लिखी थी। वही सीएम के सामने कृष्ण को टिकट के लिए पैरवी कर रहे थे।

भारी पड़ सकती सैनी की नाराजगी

जींद उपचुनाव में भाजपा प्रत्‍याशी को जवाहर सैनी की नाराजगी भारी पड़ सकती है। जींद में सैनी समुदाय के करीब 10 हजार वोट हैं। सीएम और बराला से नजदीकी के चलते जवाहर सैनी अपना टिकट पक्का मानकर चल रहे थे।

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वैश्य भी नाराज होने की चर्चाएं

कुछ असंतुष्‍ट नेताअों का कहना है कि पंजाबी समुदाय के कृष्‍ण मिड्ढ़ा को टिकट मिलने से शहर के वैश्य समुदाय में भी नाराजगी है। वैश्‍य नेता राजेश गोयल का टिकट तय मान रहे थे। जानकारों का कहना है कि अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री इन दोनों समुदायों को मनाने में कामयाब होते हैं या नहीं।

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अब तक जींद में भाजपा का नहीं खुला खाता

जींद विधानसभा सीट पर अब तक भाजपा जीत नहीं पाई है। 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भी भाजपा प्रत्याशी हार गए थे। यह पहला मौका था, जब भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़कर दूसरा नंबर हासिल किया था। हरियाणा गठन के बाद अब तक हुए चुनाव में पांच बार कांग्रेस, चार बार लोकदल के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।

1996 में हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर बृजमोहन सिंगला विधायक बने थे। एक बार निर्दलीय मांगेराम गुप्ता ने जीत हासिल करके सियासी करियर की शुरुआत की थी। 2009 के चुनाव में इनेलो की टिकट पर डॉ. हरिचंद मिड्ढ़ा ने 36.40 फीसद वोट लेकर मांगेराम गुप्ता को हराकर बड़ा उलटफेर किया था।

पिछड़े नेताओं को मनाने निकले कृष्ण मिड्ढा

भाजपा का टिकट मिलने के बाद कृष्ण मिड्ढा दूसरे दावेदारों को मनाने में लग गए हैं। मिड्ढा एक-एक कर सभी नेताओं के घर जा रहे हैं और उनचुनाव में सहयोग मांग रहे हैं। पार्टी द्वारा टिकट की घोषणा किए जाने के मिड्ढा ने मुख्यमंत्री सहित पार्टी के बड़े नेताओं से फोन पर बात की। इसके बाद वह टिकट के दावेदार रहे आवास बोर्ड के चेयरमैन डॉ. ओपी पहल, पूर्व सांसद सुरेंद्र बरवाला, मास्टर गोगल, खाप नेता टेकराम कंडेला, प्रदेश महासचिव जवाहर सैनी के घर पहुंचे।

सूत्रों के अनुसार सभी नेताओं ने साथ देने की बात कही, लेकिन टिकट की लड़ाई में पिछड़े ये नेता अंदरखाने अपना खेल रच सकते हैं। पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे डॉ. ओपी पहल संघ के नेताओं के संपर्क में थे। उन्हें उम्मीद थी कि केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी उनकी पैरवी करेंगे। टिकट न मिलने से वह भी नाराज बताए जा रहे हैं। खाप नेता टेकराम कंडेला कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। कंडेला ने टिकट के आश्वासन पर ही कमल का फूल थामा था।

बरवाला नाराज, उनके पास इनेलो का ऑफर

टिकट नहीं मिलने से पूर्व सांसद सुरेंद्र बरवाला काफी नाराज बताए जा रहे हैं। टिकट की घोषणा के बाद बरवाला के पास इनेलो नेता नफे सिंह राठी पहुंचे। सूत्रों के अनुसार उन्होंने इनेलो के टिकट पर चुनाव लडऩे का ऑफर किया। लेकिन बरवाला देर रात तक अपने समर्थकों के साथ भावी रणनीति पर विचार करते रहे।

जिला परिषद के उपप्रधान सहित तीन उम्मीदवारों ने किया नामांकन

एसडीएम एवं जींद विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी विरेंद्र सहरावत ने बताया कि बुधवार को तीन उम्मीदवारों ने नामाकंन पत्र जमा करवाए हैं। लोहचब गांव निवासी जिला परिषद उप प्रधान ठेकेदार उमेद सिंह रेढू, जींद के वार्ड आठ निवासी प्रभातीराम तथा जैन नगर जींद निवासी सतपाल ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामाकंन किया।

रेढू के पास करीब एक करोड़ रुपये और उनकी पत्नी के पास 13 लाख रुपये की चल संपत्ति है। उनके पास सौ ग्राम सोना, जबकि पत्नी के पास पांच सौ ग्राम सोना है। वहीं, अब तक कुल छह उम्मीदवारों ने चुनाव लडऩे के लिए नामांकन पत्र जमा करवाए हैं।

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नंबर गेम

- कृष्ण मिड्ढ़ा दो महीने पहले इनेलो छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे ।

- जींद विधानसभा क्षेत्र में सैनी समुदाय भी चुनाव पर डालता है असर। यहांसैनी समुदाय के 10 हजार वोट हैं।

- 2009 और 2014 में हरिचंद मिड्ढ़ा ने हासिल की थी जीत।

- वैश्‍य समुदाय का भी जींद सीट पर रहा है दबदबा। मांगेराम गुप्‍ता यहां से चार बार विधायक बने।


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