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किसान आदोलन के कारण जींद में चार घंटे तक थमे रहे रोडवेज और प्राइवेट बसों के पहिये

जींद में कृषि कानूनों के विरोध में तीन घंटे चक्का जाम के दौरान शनिवार को दोपहर 12 बजे जिले की सीमा में इंट्री के तमाम रास्ते किसानों ने बंद कर दिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 09:20 AM (IST)
किसान आदोलन के कारण जींद में चार घंटे तक थमे रहे रोडवेज और प्राइवेट बसों के पहिये

जागरण संवाददाता, जींद : कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर तीन घंटे चक्का जाम के दौरान शनिवार को दोपहर 12 बजे जिले की सीमा में इंट्री के तमाम रास्ते किसानों ने बंद कर दिए। इससे रोडवेज और प्राइवेट बसों के पहिये थम गए। 3 बजे के बाद रोडवेज बस सेवा बहाल हुई और यात्रियों ने राहत मिली।

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जिला प्रशासन ने रोडवेज व्यवस्था बनाने और उसकी निगरानी में 3 ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए थे। इनमें बस स्टैंड, कर्मशाला जींद के लिए जिला उद्यान अधिकारी वीरेंद्र सिंह हुड्डा को नियुक्त किया गया था। बस स्टैंड और कर्मशाला नरवाना के लिए पब्लिक हेल्थ के उपमंडल अभियंता प्रदीप कुमार और बस स्टैंड और कर्मशाला सफीदों के लिए मार्केट कमेटी सचिव अनिल कुमार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट लगाया गया था। किसानों की सक्रियता को देखते हुए शनिवार को 11 बजे ही बसों को रूटों पर भेजना बंद कर दिया गया था। जो भी बसें गांव या कस्बे में गई हुई थी, वह सभी बसें 12 बजे तक डिपो में वापस आ गई। सभी बसों को बूथों से हटाकर साइड में खड़ा कर दिया गया। जिले से बाहर गई बसें समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पाई तथा कई बसें तो बीच रास्ते से ही वापस लौट आई। कुछ बसों को सब डिपो या दूसरी सुरक्षित जगह खड़ा कर दिया गया।

राजस्थान की तरफ नहीं गई कोई बस

चक्का जाम के चलते शनिवार सुबह राजस्थान की तरफ जाने वाली रोडवेज बसों को नहीं भेजा गया। सालासर, श्रीगंगानगर और जयपुर जाने वाली बसों के पहिये थमे रहे, वहीं गुरुग्राम जाने वाली रोडवेज बसों को भी नहीं चलाया गया। इसके अलावा सोनीपत रूट पर भी रोडवेज सेवाएं नहीं पहुंच पाई। चंडीगढ़ रूट भी दिनभर बंद रहा। इन रूटों के बंद होने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

जाम खुलने के बाद सुचारू रूप से चली बसें : योगेंद्र आसरी

जींद डिपो के ट्रैफिक मैनेजर योगेंद्र आसरी और नरवाना के टीएम सुनील भाटिया ने बताया कि 3 बजे जैसे ही किसानों ने जाम खोला तो बसें रूटों पर भेजना शुरू कर दी गई थी। देर शाम तक बसें चलाई गई, ताकि यात्री गंतव्य पर पहुंच सकें।


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